टेरर फंडिंग मामले पर एनआईए कोर्ट ने कहा- 'पाकिस्तान के इशारे पर अलगाववादियों ने कश्मीर को जलाया'

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Update: 2022-03-20 07:19 GMT

जम्मू- कश्मीर: एनआईए अदालत ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा के सरगना हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम और अन्य के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में आरोप तय कर दिए हैं। एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले की जांच के बाद अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया।

टेरर फंडिंग मामले में एनआईए अदालत ने कश्मीरी नेता और पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया। आरोपी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत अन्य गंभीर अपराधों में शामिल हैं। एनआईए के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 16 मार्च को पारित एक आदेश में कहा कि गवाहों के बयानों व दस्तावेजी सबूतों ने लगभग सभी आरोपियों को एक-दूसरे के साथ और अलगाव के एक सामान्य उद्देश्य से जोड़ा है।
पाकिस्तान से मिलने वाले निर्देशों और वित्त पोषण के तहत आतंकी संगठनों के साथ इन लोगों के घनिष्ठ संबंध बनाए जाने थे। बहस के दौरान किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या फिर तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को सरकार से अलग करने की वकालत नहीं की है।
गवाहों ने बयान दिया है कि देश के विभाजन के बाद ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस और जेआरएल का मकसद केवल भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर का अलगाव था। आरोपी शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह वटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे को एपीएचसी और जेआरएल से जोड़ा गया। इंजीनियर रशीद से लेकर जहूर अहमद शाह वटाली तक ये सब अलगाववादियों और पाकिस्तान से जुड़े हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश में जो कुछ भी व्यक्त किया गया है, वो प्रथम दृष्टया राय है। एनआईए की जांच में यह भी पता चला है कि आतंकी फंडिंग के लिए पैसा पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों से भेजा गया था। यहां तक कि कूटनीतिक मिशन का भी दुरुपयोग किया गया। अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित हो चुका हाफिज सईद भी आतंकी फंडिंग के लिए पैसा भेजता था।
आतंकवाद का सियासी मोर्चा है हुर्रियत, युवाओं से पथराव, हमले कराने में हाथ
एनआईए ने आरोप पत्र में कहा है कि लश्कर, हिजबुल, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन पाकिस्तान की आईएसआई के सहयोग से जम्मू-कश्मीर के नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम देते आए हैं। वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक मोर्चा देने के लिए ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) का गठन किया गया। पुख्ता जानकारी है कि हाफिज मोहम्मद सईद, अलगाववादी नेताओं और आतंकी संगठनों के बीच सीधा कनेक्शन है। ये सब लोग देश-विदेश में आतंकवाद के लिए पैसा जुटाते हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अलगाववाद और आतंकवाद के लिए किया गया। जिससे सुरक्षा बलों पर पथराव और हमले करवाए गए। इसके अलावा स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी साजिशों में ये लोग शामिल हैं। अलगाववादी जम्मू-कश्मीर में चल रही अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और अशांति फैलाने के लिए सभी संभावित स्रोतों से धन जुटा रहे थे। अलगाववादियों को पाकिस्तान से चंदा मिल रहा था।
इन आतंकियों मे कई कश्मीरी पंडितों की हत्या में शामिल
टेरर फंडिंग मामले में आरोपी कई आतंकी कश्मीरी पंडितों की हत्या में भी शामिल रहे हैं। इसमें सबसे प्रमुख है बिट्टा कराटे। उसका असली नाम फारूक अहमद डार है। उसने कैमरे पर कश्मीरी पंडितों की हत्या करने की बात कबूल की थी। वह इस समय जेल में है।
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