उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए सरकार उन्हें रियायती दर पर जमीन देने की योजना पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के छह हजार पद भरे नहीं जा रहे थे, लेकिन पिछले तीन साल में यह सभी पद भर दिए गए हैं। छह हजार आवास भी अगले साल तक तैयार हो जाएंगे
कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति सरकार गंभीर है। सुरक्षित स्थानों पर उनकी तैनाती करने के साथ ही प्रोन्नति का भी लाभ दिया गया है। सिन्हा ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद लोगों की सोच में बदलाव आया है। अब स्थानीय मुस्लिम भी यह कहने लगे हैं कि कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है।
उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2019 को 370 हटने के बाद चार साल में जम्मू कश्मीर के वातावरण में पूरी तरह बदलाव आ गया है। सड़कों पर हिंसा का दौर थम चुका है। अलगाववादी तथा आतंकी संगठनों की ओर से बंद की कॉल भी बीते जमाने की बात हो गई है। आम नागरिक अब अपनी इच्छा के अनुसार जी रहा है।
आम कश्मीरी अब राहत महसूस कर रहा है। पहले सूर्यास्त होते ही लोग घरों में आ जाते थे, अब देर रात तक दुकानें खुली रह रही हैं। लोग स्वतंत्र व स्वच्छंद वातावरण में जी रहे हैं। कई मोर्चों पर काम करते हुए शांति स्थापित की गई। हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि शांति खरीदनी नहीं बल्कि स्थापित करनी है।
अलगाववादी तथा आतंकी गतिविधियों की वजह से सबसे अधिक गरीब तबका प्रभावित होता था। जबकि आतंकवाद तथा अलगाववाद पोषित समानांतर अर्थव्यवस्था संचालित की जा रही थी। अब आम नागरिकों का जीवनस्तर सुधरा है तथा उन्हें रोजगार मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अब चुने हुए प्रतिनिधि विकास कार्यों का न केवल फैसला कर रहे हैं, बल्कि उसकी निगरानी भी कर रहे हैं। कृषि योग्य भूमि पर यहां के स्थानीय लोगों का ही हक है। इसे बाहरी लोगों को बेचा नहीं जा सकता है, लेकिन उद्योग, अस्पताल, शिक्षण संस्थानों, होटल आदि विकास कार्यों के लिए जमीन देने का प्रावधान रखा गया है।
औद्योगिक निवेश ने गति पकड़ी है। 75 हजार करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है, जबकि आजादी से 2021 तक 14 हजार करोड़ रुपये तक ही निवेश हुआ था। तीन साल में तीस हजार सरकारी पदों पर भर्तियां की गई हैं। आने वाले दिनों में पांच लाख रोजगार मिलने का अनुमान है।
सरकारी नौकरी की सीमा है, हमारा स्वरोजगार पर जोर है। यदि कोई युवा स्वरोजगार का इच्छुक हो तो वह मिशन यूथ के दफ्तर पहुंचकर मदद पा सकता है। एलजी ने कहा, फिल्मों का कश्मीर से पुराना नाता रहा है। साजिश के तहत सिनेमा हॉल बंद कराए ताकि इस संस्कृति को नष्ट किया जा सके। अब दोबारा यह संस्कृति शुरू हो गई है।
कई जिलों में हॉल खुल गए हैं।
एक निजी हॉल भी खुल गया है और दूसरा भी जल्द ही खुलने वाला है। फिल्म नीति के चलते रुझान बढ़ा है। अब तक 400 से अधिक छोटी बड़ी फिल्मों की शूटिंग की अनुमति दी गई है। स्थानीय कलाकारों को बढ़ावा देने पर ज्यादा इंसेटिव का प्रावधान रखा गया है।
सरकार के हर फैसले को राजनीतिक चश्मे से न देखें
उप राज्यपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1.99 लाख आवास प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिए हैं। इनमें से कई लोगों के नाम सूची में हैं, पर उनके पास जमीन नहीं है। ऐसे 2711 लोगों को सरकार ने पांच मरला जमीन दी। एससी-एसटी को लगभग 48 हजार आवास आवंटित हैं। इनमें 40 हजार एसटी है।
बक्करवालों के पास जमीन नहीं है। सरकार आठ हजार बक्करवालों को भी जमीन दे रही है। हर फैसले को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। उन्हें दर्द है जो इन जमीनों पर अपना हक समझते थे। अब वह दिन लद गए, अब सरकारी संसाधनों पर गरीबों का हक है।