कश्मीर के कारीगर मकबूल ने कालीन पर बनाया राष्ट्रीय ध्वज

Update: 2022-07-18 12:42 GMT

मकबूल डार का कहना है कि उन्होने इस बारे में एक साल पहले सोचा था। इसे बनाने में तीन महीने लगे। वह चाहता हैं कि यह कालीन नई दिल्ली के लाल किले पर लगाया जाए।

उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले में एक कश्मीरी कारीगर मकबूल डार ने रेशम के कालीन पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बनाया है। मकबूल मानते हैं कि राष्ट्रीय ध्वज इस डूबती कला और कारीगरों को बचाने की आखरी आशा है। राष्ट्रीय ध्वज को कालीन पर बनाने के लिए मकबूल का मकसद राज नेताओं, सरकारी अधिकारियों आदि का ध्यान कला के साथ-साथ कारीगरों की ओर आकर्षित करना है।

बांदीपोरा जिले के अष्टेंगू गांव के रहने वाले मकबूल कालीन बुनाई का यूनिट चलाते हैं। इसमें 40 से अधिक महिलाएं काम करती हैं। कोरोना महामारी के कारण कश्मीर घाटी का कालीन उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

30 साल से कालीन बुन रहे मकबूल डार ने कहा, मैंने इस बारे में एक साल पहले सोचा था। इसे बनाने में तीन महीने लगे। मैं चाहता हूं कि यह कालीन नई दिल्ली के लाल किले पर लगाया जाए। हर कोई इसे देखेगा और कश्मीर का नाम रोशन होगा। कला को भी संजीवनी मिलेगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर का कारीगर भूखा है और मैंने यह कदम इसलिए उठाया ताकि सरकार ध्यान दे, क्योंकि हर विभाग में जिस अफसर के पास मैं जाता, उसके टेबल पर तिरंगा जरूर लगा होता। मुझे भी ख्याल आया कि मैं भी इस पर थोड़ा काम करूं और कालीन पर छोटा तिरंगा बनाऊं।

कश्मीर घाटी में करीब पांच लाख महिलाएं हस्तशिल्प उद्योग से जुड़ी हैं। कालीन उद्योग से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि अगर उन्हें सरकार का समर्थन नहीं मिला तो कला अपना अस्तित्व खो देगी। उनका रोजगार भी खत्म हो जाएगा। कालीन बुनाई का काम करने वाली शहजादा बेगम ने कहा, इस यूनिट में लगभग 30-40 लड़कियां हैं। मकबूल ने हमें सही रास्ता दिखाया। हमारे सामने समस्या ये है कि हमें एक दाम नहीं मिलता है।

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