कश्मीरी पंडितों को वोट डालने के लिए नहीं पडेगी एम फार्म की जरूरत

कश्मीरी पंडितों ने इस फैसले का स्वागत किया

Update: 2024-04-13 08:39 GMT

पुलवामा: जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव से पहले राज्य चुनाव आयोग ने कश्मीरी पंडित मतदाताओं को बड़ी राहत दी है। विस्थापन के तीन दशक बाद कश्मीरी पंडितों के लिए मतदान से पहले फॉर्म एम की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. यानी अब उन्हें वोटिंग से पहले एम फॉर्म नहीं भरना होगा. कश्मीरी पंडितों ने इस फैसले का स्वागत किया है.

इससे जम्मू-कश्मीर की पांचों लोकसभा सीटों पर कुल 70 फीसदी पंजीकृत कश्मीरी पंडित मतदाताओं को फायदा होगा. इसके लिए चुनाव आयोग ने जम्मू और उधमपुर में 22 विशेष मतदान केंद्र बनाए हैं. जिनमें से 21 मतदान केंद्र जम्मू में और एक मतदान केंद्र उधमपुर जिले में है.

वोटिंग से पहले कश्मीरी पंडितों को एम फॉर्म भरना था. फॉर्म एम राहत एवं पुनर्वास कार्यालय, कैंप कमांडेंट और राहत एवं पुनर्वास कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट से उपलब्ध था।

इसके बाद मतदाता को फॉर्म भरना होता था, जिसमें उसे मतदान केंद्र चुनने की आजादी दी जाती थी. यानी नानक नगर में रहने वाला कश्मीरी पंडित मुठ के किसी भी मतदान केंद्र पर वोट डाल सकता है. समाज के लोगों ने सरकार से इस तरह के फॉर्म की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की.

राज्य निर्वाचन आयोग ने फॉर्म एम की अनिवार्यता को खत्म करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की. सभी एम फॉर्म की अनिवार्यता खत्म करने पर सहमत हुए। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर इस तरह के फॉर्म की अनिवार्यता खत्म करने का अनुरोध किया था. हालाँकि, केवल जम्मू-कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों को फॉर्म एम की आवश्यकता से छूट दी गई है।

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