जम्मू कश्मीर: परिसीमन आयोग ने जनता, राजनीतिक दलों के साथ संवाद शुरू किया
स्टेट न्यूज़: जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट पर जनता और नागरिक समाज से सुझाव लेने के लिए दो दिवसीय बैठकें सोमवार को शुरू कीं। आयोग को केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाएं फिर से खींचने का काम सौंपा गया है। आयोग ने 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी थी और लोगों से आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। आयोग ने भारत और जम्मू -कश्मीर के राजपत्रों में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की हैं अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने यहां कन्वेंशन सेंटर में जम्मू क्षेत्र की जनता, नागरिक समाज और राजनीतिक दलों के सदस्यों के साथ बैठकें की। इसी तरह की बैठकें मंगलवार को श्रीनगर में एसकेआईसीसी में होंगी। अधिकारियों ने बताया कि इसने रामबन, राजौरी, पुंछ, किश्तवाड़, कठुआ और डोडा जिलों के 20 प्रतिनिधिमंडलों और लोगों से मुलाकात की और उनकी बात सुनी और उनके अभ्यावेदन प्राप्त किए।
जनता और निर्वाचित प्रतिनिधियों ने विधानसभाओं के नए क्षेत्रों को बनाने के संदर्भ में विभिन्न मांगें की और उस मसौदे पर भी आपत्ति जताई जिसमें विभिन्न क्षेत्रों को अन्य विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों में मिला दिया गया है। जज (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग छह मार्च 2020 को गठित किया गया था और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) के के शर्मा इसके सदस्य हैं। इसका कार्यकाल एक साल का था लेकिन कोविड के कारण इसके कार्यकाल में एक साल यानी छह मार्च 2021 तक विस्तार दे दिया गया था। इसके पांच एसोसिएट सदस्य भी हैं जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस से लोकसभा के तीन सदस्य फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और मोहम्मद अकबर लोन तथा भाजपा सांसद जुगल किशोर और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हैं।
मसौदा प्रस्ताव के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा सीटों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 90 हो गई है जिनमें से अनुसूचित जाति के लिए सात और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीट आरक्षित रहेंगी। तीन सदस्य आयोग ने जम्मू क्षेत्र में छह सीटें और कश्मीर में एक सीट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर में 90 में से 47 विधानसभा सीट होंगी जबकि जम्मू क्षेत्र में 43 सीट होंगी।