जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग वाहनों के लिए बंद, भूस्खलन के कारण सड़क जाम

जम्मू कश्मीर में मौसम लगातार बदलता जा रहा है।

Update: 2022-02-26 08:51 GMT

जम्मू कश्मीर में मौसम लगातार बदलता जा रहा है। बारिश और बर्फबारी के कारण मौसम में अचानक बदलाव आ रहा है। इससे जनजीवन प्रभावित हो गया है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग लगातार बारिश के कारण वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। राजमार्ग पर कई स्थानों पर भूस्खलन हो रहा है। रामबन जिले में पहाड़ी से पत्थर गिरने का सिलसिला लगातार जारी है। इस बीच एक ट्रक चालक इसकी चपेट में आने से जख्मी हो गया। उसे उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया है।

शुक्रवार को ट्रकों की आवाजाही एकतरफा ही रही
इससे पहले राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही सुचारु रखने के लिए पुलिस ने शुक्रवार को ट्रकों की आवाजाही एकतरफा ही रखी थी। उन्हें श्रीनगर से जम्मू की तरफ छोड़ा गया। जबकि, उधमपुर से आवश्यक सामग्री ले जाने वाले मालवाहकों को ही श्रीनगर की ओर जाने की अनुमति मिली। इसके अलावा सैकड़ों ट्रकों को लगातार तीसरे दिन उधमपुर में रोक कर रखा गया। इसके कारण ट्रकों के चालकों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। खराब मौसम के दौरान रामबन के विभिन्न हिस्सों में पस्सियां गिरने से बुधवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह बंद रहा था।
फंसे यात्री वाहनों को जम्मू और श्रीनगर की तरफ जाने की अनुमति दी
मौसम में थोड़ा सुधार होने के बाद वीरवार को राजमार्ग खोला गया, और पुलिस ने सबसे पहले बीच में फंसे यात्री वाहनों को जम्मू और श्रीनगर की तरफ जाने की अनुमति दी। शुक्रवार को छोटे यात्री वाहन दोनों तरफ चलाए गए, लेकिन ट्रकों को केवल श्रीनगर से जम्मू की तरफ जाने की अनुमति दी गई। हालांकि, दोपहर के समय उधमपुर में रोके कुछ ट्रकों को घाटी जाने की अनुमति दी गई। ये ट्रक गैस व अन्य जरूरत का सामान लेकर कश्मीर की तरफ रवाना किए गए। जबकि, बाकी के सैकड़ों ट्रकों को लगातार तीसरे दिन जखैनी, भारत नगर, रठियान, बट्टलबालियां, गरनई, मांड, टिकरी व अन्य इलाकों में रोक कर रखा गया।
दिन भर चालक घाटी जाने की अनुमति मिलने का इंतजार करते रहे
दिन भर चालक घाटी जाने की अनुमति मिलने का इंतजार करते रहे। रोके गए चालकों का कहना था कि तीन दिन से उनको रोक कर रखा गया है। इससे उनकी परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड में उनकी परेशानी दोगुनी हो जाती है। इसके साथ उनको खाने पीने और शौचालय के लिए भी बहुत परेशानियों से जूझना पड़ता है। इसलिए, उनकी मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द घाटी की तरफ जाने की अनुमति दी जाए।
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