J-K चुनाव: पीडीपी के घोषणापत्र में कश्मीर मुद्दे के समाधान की बात कही गई
Jammu and Kashmir श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने शनिवार को आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया। पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) गठबंधन पीडीपी के घोषणापत्र को स्वीकार करता है तो वह उसका समर्थन करेंगी।
पीडीपी घोषणापत्र जारी करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि (चुनाव के लिए) मुद्दा न तो अनुच्छेद 370 की बहाली है और न ही कुछ और। मुफ्ती ने कहा, "यह एक राजनीतिक मुद्दा है जिसका राजनीतिक समाधान होना चाहिए।"
घोषणापत्र जारी करने के कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी सीटों के लिए नहीं लड़ेगी, लेकिन अगर कांग्रेस-एनसी गठबंधन उनके एजेंडे पर चलना स्वीकार करता है, जिसमें कश्मीर मुद्दे का समाधान भी शामिल है, तो वह उनका पूरा समर्थन करेगी।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पीडीपी के लिए सत्ता और सीटें मायने नहीं रखतीं, लेकिन अगर पार्टी का एजेंडा स्वीकार किया जाता है, तो वह जम्मू-कश्मीर में गठबंधन को समर्थन देगी।एक सवाल के जवाब में जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।
उन्होंने कहा, "हमने जम्मू-कश्मीर की पहचान की रक्षा के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन जब फैसला हो चुका है, तो अब एजेंडे के आधार पर भाजपा के साथ गठबंधन संभव नहीं है।"
पीडीपी के घोषणापत्र में पारंपरिक मार्गों को खोलने, 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया है और कहा गया है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए लड़ाई को आगे बढ़ाया जाएगा और बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
पारंपरिक मार्गों से पीडीपी का मतलब नियंत्रण रेखा (एलओसी), अंतरराष्ट्रीय सीमा और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार जम्मू और कश्मीर के हिस्सों के बीच के मार्गों से है।याद रहे कि महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी सरकार जून 2018 में सत्ता खो बैठी थी, जब बीजेपी ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
इसके बाद तत्कालीन राज्य को राज्यपाल शासन के अधीन कर दिया गया था। बाद में, तत्कालीन राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था। 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
आगामी विधानसभा चुनाव एक निर्वाचित सरकार को बहाल करेंगे और यह चुनाव 10 साल बाद हो रहा है। (आईएएनएस)