भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन
भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया।
भारतीय संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली। वह 84 वर्ष के थे। वह पिछले छह महीने से किडनी संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे और डायलिसिस पर थे। उनका जन्म जम्मू में पंडित उमा दत्त शर्मा के घर 13 जनवरी 1938 को हुआ था।
1999 में एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि उनके पिता ने उन्हें महज पांच वर्ष की आयु से तबला और गायन की शिक्षा देना शुरू कर दिया था। उनके पिता ने संतूर वाद्य पर शोध किया और वह शिवकुमार को भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाते हुए देखना चाहते थे। शिवकुमार शर्मा ने 13 वर्ष की आयु से ही संतूर बजाना शुरू कर दिया। आगे चलकर उन्होंने अपने पिता के सपने को भी पूरा किया। पंडित शिव कुमार शर्मा ने जम्मू कश्मीर में संतूर को एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के तौर पर पहचान दिलाई। उनका पहला कार्यक्रम मुंबई में 1955 में किया था।
इसके बाद उन्होंने इसे देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में संतूर को मशहूर किया। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में पंडित शिवकुमार शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। पंडित शिव कुमार का सिनेमा जगत में भी अहम योगदान रहा। बॉलीवुड में 'शिव-हरी' नाम से मशहूर शिव कुमार शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने कई सुपरहिट गानों में संगीत दिया था। इसमें से सबसे प्रसिद्ध गाना फिल्म 'चांदनी' का 'मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां' रहा, जो दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी पर फिल्माया गया था।
पंडित शिवकुमार शर्मा ने एक अन्य इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि बाद में उनके पिता चाहते थे कि जम्मू या श्रीनगर के आकाशवाणी में काम करें। पिता चाहते थे कि उनका बेटा सरकारी नौकरी के जरिए भविष्य सुरक्षित करें, लेकिन पंडित जी ने अपना लक्ष्य तय कर लिया था। इसे लेकर उन्होंने घर छोड़ दिया और एक संतूर और जेब में सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई आ गए और संघर्ष शुरू किया।
पंडित शिवकुमार शर्मा को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार मिले। उन्हें 1985 में बाल्टीमोर, संयुक्त राज्य की मानद नागरिकता मिली। उन्हें 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्मश्री और 2001 में पद्म विभूषण से भी अलंकृत किया गया था।