कश्मीर घाटी में कोरोना महामारी ने किशोरों को मानसिक रूप से किया कमजोर, 16 % किशोर अवसाद और 20 प्रतिशत चिंता से है ग्रस्त

कश्मीर घाटी में कोरोना महामारी ने किशोरों को मानसिक रूप से कमजोर कर दिया है। 16 प्रतिशत किशोर अवसाद और 20 प्रतिशत चिंता से ग्रस्त पाए गए हैं

Update: 2022-05-06 09:31 GMT

कश्मीर घाटी में कोरोना महामारी ने किशोरों को मानसिक रूप से कमजोर कर दिया है। 16 प्रतिशत किशोर अवसाद और 20 प्रतिशत चिंता से ग्रस्त पाए गए हैं। यह खुलासा गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के चार डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में सामने आया है।

डॉ. रुकैया क्वांसर के अनुसार जनवरी और फरवरी 2021 में 15 से 19 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले किशोरों में अवसाद और चिंता के अध्ययन के लिए स्वास्थ्य और चिंता से संबंधी प्रशन पूछे गए थे। 439 किशोरों में ने प्रतिक्रिया दी थी, इनमें से 426 को अंतिम विश्लेषण में शामिल किया गया था। इनमें अवसाद का समग्र प्रसार 16 प्रतिशत था और यह कोविड-19 संक्रमण के पिछले इतिहास से जुड़ा था और चिंता 20 प्रतिशत किशोरों में मौजूद थी।
अध्ययन से पता चला है कि चिंता महिलाओं में ज्यादा पाई गई जोकि व्यक्तिगत कोरोना संक्रमण के पिछले इतिहास से जुड़ा हुआ पाया गया। उन्होंने कहा कि अधिक वजन, सप्ताह में 150 मिनट से कम शारीरिक गतिविधि, कोविड का पिछला व्यक्तिगत इतिहास, कोविड के कारण परिवार की एडमिशन हिस्ट्री और घरेलू संगरोध के इतिहास में एकतरफा विश्लेषण में अवसाद के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़े थे।
डॉ. रुकैया ने बताया कि विशेष रूप से किशोरावस्था में अवसाद और चिंता हमेशा एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या बनी रही, लेकिन इस महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का मतलब है कि आने वाले वर्षों में समस्या गंभीर हो सकती है। स्वास्थ्य प्रणालियों को सक्रिय होने और विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अध्ययन किशोरों के लिए निवारक और उपचारात्मक मानसिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। उन्होंने किशोरों के लिए एक विशिष्ट मानसिक स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम का सुझाव दिया।
शोध गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) श्रीनगर के डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिटी विभाग के चार डॉक्टरों ने किया है, जिसमें डॉ. रुकैया क्वांसर (संबंधित लेखक), डॉ. आसिफ जिलानी, डॉ. सबीरा आलिया और डॉ. मोहम्मद सलीम खान (प्रोफेसर और एचओडी, कम्युनिटी मेडिसिन) शामिल हैं।


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