एसीबी की सहायता करने के अलावा विशेष रूप से उनके पक्ष में सतर्कता की मंजूरी
एसीबी की सहायता करने
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में अब सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मियों के डेटाबेस को जमा करने के लिए एक केंद्रित कार्मिक सूचना प्रणाली (सीपीआइएस) को लागू किया जा रहा है। यह प्रदेश में सुशासन को सुनिश्चित करने और सरकारी कार्यालयों में डिजिटल व ई आफिस प्रणाली को प्रभावी बनाए जाने का अगला चरण है। इससे पूर्व जम्मू कश्मीर में लोगों को एक भ्रष्टाचार मुक्त, कर्मठ और प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था उपलब्ध कराने में प्रदेश सरकार द्वारा आनलाइन मोड पर विभिन्न सरकारी अधिकारियों व अन्य लोगों को सतर्कता संगठन की क्लीयरेंस अब इलेक्ट्रानिक विजिलेंस क्लीयरेंस सिस्टम(वीसीएस) लागू करने के अलावा नागरिक सचिवालय और सभी प्रमुख सरकारी कार्यालयों में ई-आफिस को प्रभावी बनाया है।
केंद्रीकृत कार्मिक सूचना प्रणाली को पूरे जम्मू और कश्मीर में फैले सभी विभागों के सीपीआईएस डेटाबेस में कर्मचारी प्रोफाइल के साथ-साथ कार्यालय प्रोफाइल को जमा करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें कर्मचारियों की पदोन्नति, स्थानांतरण या सेवानिवृत्त होने पर उनकी अद्यतन जानकारी रखने की भी परिकल्पना की गई है। इसका उद्देश्य भविष्य के संदर्भों के लिए सभी कर्मचारियों को एक विशिष्ट कर्मचारी पहचान संख्या प्रदान करना है। इसके अलावा इस सीपीआईएस डेटाबेस का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सर्विस बुक और जीपीएफ के लिए किया जा सकता है।
सीपीआईएस का कार्यान्वयन सरकार की एक प्रमुख ई-गवर्नेंस पहल : सीपीआईएस का कार्यान्वयन जम्मू और कश्मीर सरकार की एक प्रमुख ई-गवर्नेंस पहल है। एक अधिकारी ने कहा कि यह किसी संस्थान या कार्यालय के बारे में स्पष्ट जानकारी देता है कि कितने पद सृजित किए गए हैं और कितने कर्मचारी तैनात हैं। सीपीआईएस माउस के एक क्लिक में किसी विशेष कार्यालय में जनशक्ति की अधिकता या कमी के बारे में जानकारी दे सकता है। यह प्रणाली मौजूदा प्रणाली को इसकी सर्वोत्तम उपयोगिता के लिए स्वचालित करती है और सूचना, डेटा आदि को संकलित करने की समय लेने वाली प्रक्रिया को कम करती है। यह श्रम गहन और समय लेने वाली प्रक्रियाओं से होने वाली त्रुटियों को भी कम करता है।
फाइलों की होगी रियल टाइम निगरानी : प्रदेश प्रशासन के महाप्रशासनिक विभाग ने नागरिक सचिवालय के सभी प्रशासनिक विभागों और विभागाध्यक्षों के कार्यालय में ई-आफिस लागू कर दिया है। इसके कारण सभी अधिकारिक गतिविधियों में तेजी आयी है, फाइलों की रियल टाइम निगरानी के साथ साथ, मामलों के निपटान में किसी भी अनुचित देरी से बचने के लिए जवाबदेही में वृद्धि हुई है। ई-ऑफिस के जरिए किसी भी सरकारी कार्यालय में किसी भी स्तर पर लंबित मामलों के लिए प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा यह फाइलों को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय भेजने के नाम पर होने वाले खर्च को भी बचा रही है।
वीसीएस को अपनाया गया : मानप संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए आनलाइन मोड पर ई-सतर्कता मंजूरी जारी करने के लिए वीसीएस को अपनाया गया है।। इसने अनापत्ति प्रमाण पत्र और सतर्कता मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल, समयबद्ध और पारदर्शी भी बनाया है। विजिलेंस क्लीयरेंस के मामलों को सात से दस दिन में निपटाना सुनिश्चित किया गया है।इसने न केवल पदोन्नति/प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया को आसान बनाया है बल्कि व्यक्ति से व्यक्ति संपर्क को कम किया है। यह प्रणाली लंबित मामलों की रीयल-टाइम जांच व कर्मचारियों को किसी भी अनुवर्ती कार्रवाई हेतु उनकी सतर्कता मंजूरी की स्थिति को ट्रैक करने में सक्षम बनाती है।
सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों का संपत्ति रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य : इसी तरह, संपत्ति रिटर्न की ई-फाइलिंग पीआरएस-पोर्टल के लिए ऑनलाइन पोर्टल कर्मचारी आचरण नियमों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में सरकारी अधिकारियों व कर्मियों की संपत्ति और अन्य प्रावधान अधिनियम, 1983 की घोषणा के तहत प्रत्येक सरकारी कर्मचारी द्वारा संपत्ति रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य करता है। पोर्टल आय से अधिक संपत्ति के मामलों की त्वरित जांच में एसीबी की सहायता करने के अलावा, विशेष रूप से उनके पक्ष में सतर्कता मंजूरी की प्रक्रिया के दौरान, सभी कर्मचारियों की संपत्ति के विवरण तक पहुंच और निगरानी की सुविधा प्रदान करता है।
होगी भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासनिक कार्यप्रणाली : मोबाइल एप्लिकेशन 'सतर्क नागरिक' और जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का विभागीय सतर्कता अधिकारी पोर्टल पारदर्शी, जवाबदेह और उत्तरदायी शासन सुनिश्चित करने में भी मददगार साबित हो रहा है।यह मोबाइल एप्लिकेशन भ्रष्टाचार के बारे में सूचनाओं के निर्बाध प्रवाह की सुविधा प्रदान करने के अलावा नागरिकों को अपनी शिकायतों को आसानीके साथ प्रस्तुत करने में सक्षम बनाता है। शिकायत के पंजीकरण के समय एक विशिष्ट आईडी नंबर आवंटित किया जाता है जिसे बाद में शिकायत की स्थिति को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।