रामबन के पास नेशनल हाइवे-44 पर भारी भूस्खलन, रोकी गई अमरनाथ यात्रा

Update: 2023-08-09 07:09 GMT
जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के बाद से भूस्खलन की खबरें लगातार आ रही हैं. इस बीच मारोग रामबन से भी भारी भूस्खलन की जानकारी मिली है. बताया जा रहा है कि भूस्खलन के चलते एनएसडब्ल्यू टी-2 अवरुद्ध हो गया है. जम्मू-कश्मीर यातायात पुलिस ने लोगों को सलाह दी है कि वे टीसीयू (यातायात नियंत्रण इकाई) की बिना पुष्टि के नेशनल हाइवे-44 पर यात्रा न करें. भारी भूस्खलन के चलते अमरनाथ यात्रा को एक बार फिर से रोका गया है. अधिकारियों के मुताबिक T2 मारोग रामबन में भूस्खलन के चलते अमरनाथ यात्रा को रोक दिया गया है. क्योंकि यहां नेशनल हाइवे पर भूस्खल का मलबा पड़ा हुआ है. जिसके चलते हाइवे बंद हो गया और यहां से निकलना नामुमकिन हो गया है. भूस्खलन के चलते जम्मू-कश्मीर एनएचडब्ल्यू पूरी तरह से बंद हो गया है.
 मंगलवार को 451 यात्रियों का जत्था यात्रा पर रवाना
जानकारी के मुताबिक, कल यानी मंगलवार को बाबा बर्फानी के दर्शनों के 451 यात्रियों का एक जत्ता जम्मू के आधार शिविर से अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए रवाना हुआ. यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए. अधिकारियों के मुताबिक, अब तक का ये सबसे छोटा जत्था था जिसमें सिर्फ 18 वाहन काफिले में शामिल हैं. जो भगवती नगर आधार शिविर से पहलगाम और बालटाल में आधार शिविरों के लिए सुबह 3.30 बजे से 3.45 बजे के बीच रवाना हुआ. बताया जा रहा है कि इनमें से 303 तीर्थयात्री अनंतनाग जिले के पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे नुनवान-पहलगाम मार्ग से अमरनाथ की यात्रा कर रहे हैं. जिसमें 26 महिलाएं और 20 साधु संत शामिल हैं. वहीं 148 श्रद्धालु गांदरबल जिले के 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से गुफा मंदिर की ओर जा रहे हैं. इस जत्थे में 25 महिलाएं भी शामिल हैं.
अब तक सवा चार लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन
बता दें कि इस साल अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई को शुरू हुई थी. जो 31 अगस्त 2023 तक चलेगी. जानकारी के मुताबिक, 60 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में अब तक 4.23 लाख श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं. 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थिर अमरनाथ गुफा मंदिर को दुर्गम तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है. जहां पहुंचने के लिए हर साल लाखों लोग आवेदन करते हैं लेकिन हर किसी की यहां पहुंचने की मन्नत पूरी नहीं हो पाती. जबकि कई लोग इस यात्रा के दौरान अपनी जान भी गंवा बैठते हैं. क्योंकि सावन के महीने में होने वाली इस यात्रा के दौरान भारी बारिश और भूस्खलन जैसी कई प्राकृतिक आपदाओं का भी तीर्थ यात्रियों को सामना करना पड़ता है.
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