जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त करने के 4 साल बाद केंद्र सरकार की निगाहें प्रदेश में बड़ा राजनीतिक व सामाजिक बदलाव करने पर टिकीं हैं। विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन का काम पूरा होने के बाद सरकार ने वंचित व पिछड़े वर्गों को दूसरे राज्यों की तरह सांविधानिक अधिकार देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस दिशा में बुधवार को लोकसभा में चार संविधान संशोधन विधेयक पेश किए गए।
अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयक के जरिये प्रदेश में गुज्जर-बक्करवालों के विरोध से बेपरवाह केंद्र सरकार ने प्रदेश की एसटी की सूची में पहाड़ी, गड्डा ब्राह्मण, पद्दारी जनजाति व कोली समुदायों को शामिल करने का प्रावधान किया है। इनमें पद्दारी जनजाति किश्तवाड़ व डोडा इलाकों में तो पहाड़ी समुदाय जम्मू, राजोरी-पुंछ, बारामुला-कुपवाड़ा में प्रभावशाली उपस्थिति रखते हैं।
कोली व गड्डा ब्राह्मण की पूरे प्रदेश में आंशिक उपस्थिति है। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर की नौ सीटें (जम्मू में 5 व कश्मीर में 4) एसटी के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में इन 4 जातियों को इन आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा।
लोकसभा में पेश किए गए विधेयकों में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) और आरक्षण (संशोधन) विधेयक शामिल हैं।
तीन विधेयकों में राज्य में सामाजिक न्याय की अवधारणा लागू करने तो एक में विस्थापित कश्मीरी पंडितों व पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान है।
ओबीसी आरक्षण का रास्ता भी होगा साफ
जम्मू-कश्मीर में अब तक ओबीसी को आरक्षण नहीं था। जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में बदलाव का प्रावधान किया गया है। इसके तहत कमजोर और वंचित वर्गों की शब्दावली को बदलकर अन्य पिछड़ा वर्ग कर दिया गया है।
इस विधेयक के कानून बनने के बाद पहली बार प्रदेश में ओबीसी को सरकारी नौकरियों, छात्रवृत्ति में आरक्षण सहित अन्य लाभ हासिल करने का सांविधानिक अधिकार मिल जाएगा। विधेयक में जाटों को ओबीसी में शामिल करने का भी प्रावधान किया गया है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक
परिसीमन के बाद प्रदेश में विस सीटों की संख्या 107 से बढ़कर 114 कर दी गई है। इस विधेयक से सरकार ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए दो और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित करने का प्रावधान किया है।
इससे जुड़े अधिनियम की धारा 14 में संशोधन कर दो नई धाराएं 15ए और 15बी जोड़ी गई हैं। ये नई धाराएं पीओजेके और कश्मीर से विस्थापितों का विधानसभा में अनिवार्य प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेंगी। इन तीनों सीटों पर मनोनयन का अधिकार उप राज्यपाल को दिया गया है।
वाल्मिकी समुदाय को एससी में शामिल करने की तैयारी
वाल्मिकी समुदाय को पूरे देश में एससी का दर्जा मिला है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में नहीं। संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक के जरिए इस खामी को दूर करने का प्रावधान है। विधेयक के कानून बनते ही वाल्मिकी समुदाय को जम्मू-कश्मीर में भी एससी का दर्जा मिलेगा। इसके बाद यह समुदाय अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी आरक्षण सहित अन्य योजनाओं का लाभ उठा सकेगा।