राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) और सीआईडी ने 30 वर्षों से फरार 8 आतंकियों और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है। हैरानी यह है कि यह आतंकी आम नागरिक बनकर रह रहे थे। इससे भी बड़ी बात यह है कि इनमें दो सरकारी मुलाजिम हैं। एक शिक्षा विभाग का मुलाजिम तो दूसरा डोडा जिला अदालत में टाइपिस्ट है। डोडा जिलों के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में इन आतंकियों के खिलाफ टाडा और पोटा के तहत मामले दर्ज हैं। तीन दशक से इनकी तलाश थी। अब जाकर इनको दबोचा गया है। इनमें से कुछ उस समय भाग गए। कुछ अपने मूल स्थान छोड़कर भाग गए और वापस आकर आम नागरिक बनकर रहने लगे। इनमें से कुछ ने सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली। यहां तक कि अदालतों में भी यह लोग काम करते पाए गए।
गिरफ्तार किए गए इन आतंकियों में आदिल फारूक फरीदी जम्मू के शहीदी चौक का रहने वाला है। जो इस समय शिक्षा बोर्ड में कार्यरत है। डोडा के बन का रहने वाला इशफाक अहमद डोडा जिला अदालत में टाइप राइटर है। अन्य 6 में डोडा के अस्थान निवासी इकबाल, मुजाहिद हुसैन, डोडा के बरशाला निवासी तारिक हुसैन, डोडा के साह निवासी इश्तियाक अहमद, भद्रवाह के दांडी निवासी एजाज अहमद, भद्रवाह के कुरसारी निवासी जमील अहमद उर्फ जुगनू शामिल हैं। इन सभी को एसआईए ने जम्मू की टाडा और पोटा कोर्ट में पेश कर आगे की जांच शुरू कर दी है।
इन आतंकी वारदातों में शामिल हैं ये आतंकी
1992 में बंदूक के बल पर डोडा के रहने वाले गुलाम मोहम्मद वानी का अपहरण कर जान से मारने की धमकी दी गई। 1993 में 23 और 24 अप्रैल की रात मोहम्मद सादिक और तारिक हुसैन निवासी डोडा का अपहरण किया। इनमें से तारिक की हत्या कर दी और सादिक को घायल कर दिया गया। 1991 में ही इन आतंकियों ने बंदूक के बल पर लोगों को भड़काया कि कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या की गई है। इसके जरिए लोगों को भड़का कर हड़ताल कराई गई। मस्जिदों का इसके लिए सहारा लिया गया। इन आतंकियों द्वारा छुपाए गए गोला बारूद को 1993 और 1994 में बरामद किया गया।
अभी भी आतंकवाद में शामिल 127 भगोड़े पकड़ से बाहर
जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित 327 वारदातों में अब भी 127 भगोड़े पकड़ से बाहर हैं। इन पर टाडा और पोटा अदालत में मामले दर्ज हैं। इन वारदातों में 369 आतंकियों और उनके सहयोगियों की पहचान हो चुकी है। जम्मू में 215 और 154 कश्मीर के रहने वाले हैं। हालांकि कुल भगौड़ों का आंकड़ा 734 है, इनमें 317 जम्मू और 417 कश्मीर के हैं, लेकिन जिनकी पहचान हुई है, उनकी संख्या 369 है। इन 369 आरोपियों में 80 मर चुके हैं, 45 पाकिस्तान में रहते हैं। 4 जेल में बंद हैं, जबकि बाकी के पकड़े जा चुके हैं।