सेना ने आतंकी हमलों से निपटने की ट्रेनिंग देने के लिए वीडीसी प्रशिक्षण का आयोजन किया
वीडीसी प्रशिक्षण का आयोजन किया
भारतीय सेना (Indian Army) सीमांत ग्रामीणों VDC (Village Defence Committee) से जुड़े लोगों को स्पेशल ट्रेनिंग दे रही है. यह ट्रेनिंग हथियार चलाने, पाकिस्तान द्वारा दागे गए गोलों से बचने और अपने गांव तथा गांव वालों को मुश्किलों से बचाने के लिए लोगों को दी जा रही है. जम्मू कश्मीर में आतंक की वारदातें पिछले कुछ समय में काफी बढ़ी हैं. इसी के खिलाफ सेना ने भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर विलेज डिफेंस कमेटी यानी ग्राम सुरक्षा समिति के सदस्यों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग राजौरी के नौशेरा में दी है.
इस ट्रेनिंग का मकसद लोगों को सशक्त बनाना है ताकि जरूरत पड़ने पर यह गांव वाले आतंकवाद का काम तमाम कर सकें और सबसे अहम बात इसमें युवाओं की भी भागीदारी बढ़-चढ़कर देखने को मिल रही है. भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के राजौरी जिले के लाम इलाके के नौशेरा सेक्टर के अंतर्गत भारतीय सेना की ओर से युवाओं को हथियार चलाने की और हथियारों को हैंडल करने की भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है.
VDC ने सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर किया काम
लड़कियां भी इस ट्रेनिंग का हिस्सा बन रही हैं. कुछ युवतियों ने कहा कि हम भारतीय सेना का हिस्सा बनना चाहते हैं और अगर जरूरत पड़ी तो हम आतंक का काम तमाम भी करेंगे. आपको बता दें कि 90 के दशक में जब आतंकवाद जम्मू कश्मीर में हद से ज्यादा था तो उस वक्त VDC का गठन हुआ था. इन्हीं VDC ने सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चिनाब वैली और पीर पंजाल के इलाकों में आतंक का खात्मा किया था.
गांव वालों का मकसद है कि कायर पाकिस्तान द्वारा पाले गए आंतकी अगर घुसपैठ करने की कोशिश करें तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाए. युवा हों या युवतियां या फिर बुजुर्ग सभी जंगलों में डटे हुए हैं और सेना की तीसरी आंख बनकर काम कर रहे हैं. यह वही बहादुर गांव वाले हैं जो वीडीसी के सदस्य हैं. इनमें जोश और जज्बा इतना ज्यादा है कि पाकिस्तान तो क्या अन्य दुश्मन भी काप जाएं.
बुजुर्गों को भी दी जा रही ट्रेनिंग
एलओसी पर तैनात सेना जहां एक ओर जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की हर नापाक साजिश का मुंहतोड़ जबाब दे रही है. वहीं, दूसरी ओर सीमावर्ती इलाकों में रह रहे युवाओं को दुश्मनों से निपटने की ट्रेनिंग भी दे रही है. खास बात यह है कि यहां युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों को भी ट्रेनिंग दी जा रही है. आपको बता दें कि 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था तो उस दौरान विलेज डिफेंस कमेटी के सदस्यों की ओर से आतंकवाद का डटकर मुकाबला किया जाता था और सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया जाता था.