महिला सुरक्षा को लेकर कानून तो बना दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें अमल में लाने की हकीकत केवल शोर शराबे में दबकर रह जाती है। इसका फायदा उठाकर दबंग बेटियों व महिलाओं पर अत्याचार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर में 2019 से 2021 के दरम्यान 18 साल से कम और इससे ज्यादा आयु वाली 9765 महिलाएं लापता हुईं हैं।
जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं लग सका है। महिलाओं पर होने वाले अपराध रोकने को लेकर सरकारें तमाम तरह के दावे करती हैं, लेकिन हालात यह हैं कि हर दिन कहीं न कहीं बेटियां व महिलाएं लापता हो रही हैं। इनमें से कुछ मिल जाती हैं, तो कुछ हमेशा के लिए गुमशुदगी रिपोर्ट में रह जाती हैं।
इसका खुलासा गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा की ओर से राज्यसभा में किए गए एक प्रश्न के उत्तर में हुआ है। बुधवार को राज्यसभा में राज्य मंत्री ने देशभर में लापता हुई लड़कियों और महिलाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें 18 साल से कम और 18 साल से ज्यादा आयु के हिसाब से लापता हुई महिलाओं की कैटेगरी वाइज रिपोर्ट बनाई गई है।
साल 2019 से 2021 की इस रिपोर्ट के आंकड़े जम्मू कश्मीर प्रशासन को परेशान करने वाले हैं। इन तीन वर्षों में 18 साल से कम आयु की लड़कियों के गायब होने के 1148 मामले आए। इन्हीं तीन वर्षों में 18 वर्ष से ज्यादा आयु की 8617 महिलाएं लापता हुईं।
यानि इन तीन वर्षों 9765 महिलाएं लापता हुई हैं। हालांकि अभी तक लापता हुई इन महिलाओं का कोई कोई सुराग नहीं लग सका है। महिलाओं के लापता होने के मामले में यूटी कैटेगरी में दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर जम्मू कश्मीर का नंबर आता है।
इसके बाद चंडीगढ़ तीसरे नंबर पर है। दिल्ली में 2019 से 2021 तक में 18 साल से कम आयु की 22919 बेटियां और 18 से ज्यादा आयु की 61050 महिलाएं लापता हुईं।