उत्तरप्रदेश | जिला अस्पताल में से नवजात गहन देखभाल इकाई (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) शुरू कर दी गई. पहले चरण में छह बेड पर नवजात के इलाज की सुविधा होगी. इस सुविधा के बाद गंभीर रोग से पीड़ित बच्चों का भी इलाज जिला अस्पताल में हो सकेगा. पहले ऐसे बच्चों को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता था.
नवजात गहन चिकित्सा इकाई के लिए 24 घंटे तीन शिफ्ट में एक डॉक्टर सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. एंक्यूबेटर सहित अन्य सुविधाएं दी गई हैं. जिला अस्पताल में बच्चों की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 200 मरीज इलाज के लिए आते हैं. वहीं, प्रत्येक दिन 15-20 प्रसव होते हैं. सुविधाओं के अभाव में प्रत्येक दिन 4-5 बच्चों को दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता था. एनआईसीयू की सुविधा शुरू होने से प्रीमेच्योर नवजात, कम वजनी बच्चे आदि का इलाज किया जा सकेगा. एनआईसीयू (नवजात गहन देखभाल इकाई) में शिशुओं को विशेषज्ञों की टीम 24 घंटे देखभाल करेगी.
जन्म के बाद एनआईसीयू में रखे जाते हैं नवजात आमतौर पर शिशुओं के जन्म के चौबीस घंटों के भीतर एनआईसीयू में स्थानांतरित कर दिया जाता है. उन्हें निगरानी में रखा जाता है. बच्चों के एनआईसीयू में रहने की अवधि उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है. ज्यादातर शिशुओं को कुछ घंटों में स्वास्थ्य जांच के बाद एनआईसीयू से सामान्य वार्ड में भेज दिया जाता है. बीमारी की स्थिति में कई दिन तक नवजात को यहां रखा जाता है. एनआईसीयू को विशेष देखभाल नर्सरी, गहन देखभाल नर्सरी और नवजात गहन देखभाल नर्सरी के रूप में भी जाना जाता है.