शिमला। हिमाचल प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में समग्र सुधार (Power Sector Reforms) के लिए वर्ल्ड बैंक (World Bank) लगभग 1600 करोड़ रुपये की सहायता देगा। इसकी पहली किस्त अगस्त में मिलेगी। परियोजना की कुल लागत लगभग 2000 करोड़ रुपये है, जबकि इसकी अवधि 2023 से 2028 तक पांच वर्षों की है। यह बात सीएम ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने बुधवार को यहां कही।
सीएम ने कहा कि विश्व बैंक बोर्ड ने 27 जून, 2023 को वॉशिंगटन में इस कार्यक्रम को मंजूरी प्रदान की है। इस कार्यक्रम के तहत ऊर्जा क्षेत्र की व्यापक योजना के लिए एकीकृत संसाधन योजना को बढ़ावा देने, मांग प्रतिक्रिया प्रबन्धन, जल विद्युत परियोजना परिसंपत्तियों के तकनीकी उपयोग में सुधार करते हुए इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य स्रोतों से एकीकृत करने और राज्य में उत्पादित बिजली की प्रभावी बिक्री के लिए एकल व्यापार डेस्क की स्थापना शामिल है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से राज्य को बिजली की बिक्री से ज्यादा राजस्व मिलेगा।
2000 मेगावाट के सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कार्यक्रम का लक्ष्य हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरशेन लिमिटेड और हिम ऊर्जा के माध्यम से लगभग 200 मेगावाट की सौर ऊर्जा उत्पादन में नई क्षमताएं स्थापित करना है। राज्य को अपनी विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करने दृष्टिगत सर्वोत्कृष्ट व्यापार की अनुमति प्रदान करना महत्वपूर्ण है और ऐसे में यह कार्यक्रम राज्य के भीतर ट्रांसमिशन (एचपीपीटीसीएल द्वारा) और 13 शहरों में वितरण स्तर (एचपीएसईबीएल द्वारा) पर विद्युत नेटवर्क को सुदृढ़ करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (एचपीएसएलडीसी) की प्रणालियों के उन्नयन से विद्युत की मांग और आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन में मदद मिलेगी। इन सभी मध्यस्थताओं के माध्यम से राज्य के भीतर विद्युत आपूर्ति का बेहतर हस्तांतरण विश्वसनियता और गुणवत्ता के आधार पर सुनिश्चित होगा।