शिमला न्यूज़: ऊना जिले के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ माना जाता है। यहां 1993 से लगातार भाजपा ने कांग्रेस को जीतने नहीं दिया है। इस विधानसभा में बंगाणा, लमलैहडी, मलांगड़ व लठियाणी भाजपा के प्रभाव वाले क्षेत्र रहे है। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र की सीमाएं हमीरपुर व बिलासपुर जिला से लगती है। हैरानी की बात यह है कि यहां मात्र 1972 में शांता शर्मा व 1985 में रामनाथ शर्मा ही कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए। 1990 में यहां से ठाकुर रणजीत सिंह जनता दल के टिकट पर विधायक बने थे। फिर 1993 से भाजपा ने यहां कांग्रेस को लगातार धूल चटाई। रामदास मलांगड़ ने 1993 व 1998 में यह सीट भाजपा की झोली में डाली। बाद में यहां से 2003 में वर्तमान कैबिनेट मंत्री बीरेंद्र कंवर को चुनावी मैदान में उतारा गया। जिन्होंने लगातार 2003 से लेकर 2017 तक 4 दफा भगवा पताका कुटलैहड़ में लहराई। विकास के मामले में यह विधानसभा क्षेत्र काफी पिछड़ा माना जाता था। वीरेंद्र कंवर के आने के बाद इस इलाके ने विकास के मामले में काफी तरक्की की है। यहां राजपूत व ब्राह्मण वोटरों की संख्या लगभग बराबर है। यहां स्वर्ण बाहुल्य वोटर्स अधिक है। इसलिए हार जीत का फैक्टर भी यही डिसाइड करते है।
यह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के अधीन आता है जिसके चलते केंद्रीय मंत्री व सांसद अनुराग ठाकुर ने भी यहां विकास के कई कार्य करवाए। कांग्रेस यहां हमेशा से ही आपसी फूट का शिकार रही है। 2017 के चुनावों में हालांकि कांग्रेस के युवा उम्मीदवार विवेक शर्मा ने वीरेंद्र कँवर को कड़ी टक्कर दी थी मगर जीत की दहलीज के समीप आकर आपसी फूट ने कांग्रेस को जीत के स्वाद से महरूम कर दिया। बीजेपी से तो वीरेंद्र का चुनाव लड़ना तय है मगर कांग्रेस में अभी भी टिकट के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है।