शिमला। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्नहोत्री ने कहा है कि भूमिगत (भूगर्भ जल) जल प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 5 साल की सजा के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर अब अधिकतम 10 लाख रुपए जुर्माना हो सकेगा। जुर्माने का यह प्रावधान औद्योगिक क्षेत्र के लिए किया गया है। प्रदेश में सिंचाई एवं पेयजल के उद्देश्य से ट्यूबवैल और हैंडपंप लगाने वाले किसान-बागवानों पर इसके तहत कोई कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने यह जानकारी विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भूगर्भ जल (विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण संशोधन विधेयक, 2023) को पारित करने के अवसर पर कही। इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ट्यूबवैल व हैंडपंप लगाने के लिए आवेदन करने पर इसकी अनुमति दी जाएगी।
यदि 60 दिन के भीतर ऐसी अनुमति विभागीय स्तर पर नहीं मिलती है तो पात्र व्यक्ति स्वत: ही इसको लगा सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय बिजली बोर्ड की तरफ से 33702 निजी कनैक्शन दिए गए हैं। अकेले पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 4122 ट्यूबवैल लगे हैं। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि डर के लिए सजा का प्रावधान रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोई भी उद्योगपति आसानी से 10 लाख रुपए की जुर्माना राशि को भर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस विधेयक को जल्दबाजी में लाई है। जहां तक उद्योगपतियों का प्रावधान है तो उनको उद्योग लगाने से पहले ही बिजली-पानी उपलब्ध करवाया जाता है। विधेयक पर हुई चर्चा में डाॅ. हंसराज, त्रिलोक जम्वाल, केएल ठाकुर, डाॅ. जनकराज, विनोद कुमार और सुखराम चौधरी ने भाग लिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने कहा कि राज्य में उद्योग आएं, इसलिए राहत दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार मॉनीटरिंग करेगी कि कोई नियमों का उल्लंघन न करे। यदि कोई ऐसा करता है तो उसके ऊपर जुर्माना किया जाएगा।