रिकांगपिओ। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सहित बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी गुरुवार को भारत-चीन सीमा पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बॉर्डर पर स्थित आईटीबीपी की पोस्ट नागास्ती पर जाकर जवानों से मिले। इससे पहले दो दिवसीय किन्नौर प्रवास के चलते केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सहित बागबानी, राजस्व एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी गुरुवार सुबह हवाई मार्ग से कूपा हेलिपैड पहुंचे। इसके बाद वह सडक़ मार्ग से होते हुए भारत-चीन सीमा से सटे वाइब्रेंट विलेज छितकुल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने छितकुल में मंदिर प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने छितकुल में वाइब्रेंट विलेज के तहत हो रहे विकास कार्यक्रमों का जायजा लिया और विभिन्न गतिविधियों पर लोगों से बातचीत की। ग्रामीणों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नागस्ती बैरियर को हटाने की कोशिश की जाएगी, ताकि इस क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ावा मिल सके। इसी तरह वाइब्रेंट विलेज छितकुल में सोलर लाइट सहित छितकुल में बस स्टैंड सहित पार्किंग की सुविधा उपलब्ध करवाने की भी घोषणा की गई।
छितकुल क्षेत्र में सर्दियों के दौरान काफी बर्फबारी होने से सडक़ मार्ग बंद न रहें, इसके लिए एक स्नो कटर देने की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छितकुल सडक़ मार्ग को भी बीआरओ को दिए जाने के लिए वार्ता जारी है। साथ ही केंद्र सरकार ग्रामीणों की आवश्यकता को देखते हुए एक से दो मेगावाट क्षमता वाली सोलर पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने का भी घोषणा की। केंद्रीय मंत्री सहित मुख्यमंत्री व बागबानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने आइटीबीपी की पोस्ट नागास्ती जाकर जवानो से मिले। बता दं कि वाइब्रेंट प्रोग्राम का मकसद भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों का समग्र विकास करना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 4800 करोड़ रुपए का खर्च निश्चित किया है। इन गांवों में सडक़ों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 2500 करोड़ रुपए अलग से आबंटित किए गए हैं। भारत सरकार ने जिन गांवों को चुना है, वे भारत-चीन सीमा पर फस्र्ट रिस्पांडर के रूप में जाने जाते हैं।