शिमला: जिला प्रशासन ऊना के माध्यम से बेसहारा व अनाथ बच्चों के लिए संबल योजना संचालित की गई है। इस योजना के अंतर्गत जिला प्रशासन अति-गरीब परिवार के पात्र बच्चों को मंदिर ट्रस्ट चिंतपूर्णी के माध्यम से "संबल" योजना के अंतर्गत शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है, ताकि अभाव में बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। जिला प्रशासन की संबल योजना की लाभार्थी ग्राम पंचायत बेहड़ जसवां की तनु ठाकुर बताती हैं कि उनके पिता का देहांत पिछले वर्ष हो गया था, जिसके चलते उनके घर की आर्थिकी स्थिति काफी खराब हो गई थी और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। तनु ठाकुर वर्तमान में बीएससी फाइनल इयर की छात्रा है। उन्होंने जिला प्रशासन ऊना के माध्यम से चलाई जा रही संबल योजना के लिए आवेदन किया और अब तनु ठाकुर को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए आर्थिक सहायता मिली है। तनु ठाकुर ने संबल योजना संचालित करने के लिए उपायुक्त ऊना राघव शर्मा का धन्यवाद किया।
अकसर देखने में आता है कि घर के मुखिया का निधन हो जाने पर या किसी कारणवश लाचार हो जाने पर बच्चों की शिक्षा पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे बच्चे या तो शिक्षा से पूर्णतः वंचित रह जाते हैं या शिक्षा के लिए अन्य लोगों के सामने हाथ फैलाने को बाध्य हो जाते हैं। भाग्य के कुठारघात के बाद शिक्षा न मिलने के कारण ऐसे बच्चे एक अच्छे जीवन से भी वंचित हो जाते हैं। संबल ऐसे ही बच्चों की मदद करती है। दियाड़ा के कुशल चौधरी संबल योजना का लाभ उठाकार प्राइवेट इंस्टीच्यूट से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। कोरोना काल में कुशल चौधरी अपनी इंजीनियरिंग की फीस भरने में असमर्थ थे, लेकिन जिला प्रशासन ऊना ने उन्हें सबंल प्रदान करते हुए उनकी फीस अदा की और वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके। इसके अलावा बेहड़ा जसवां की श्वेता ठाकुर बताती हैं कि पिता का स्वर्गवास होने के पश्चात घर की आर्थिक काफी खराब हो गई थी। घर का खर्च चलाने के साथ-साथ पढ़ाई का खर्च उठाने में मुश्किल हो रही थी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपना आवेदन जिला प्रशासन को भेजा, जिसे जिला प्रशासन ने स्वीकर किया। उच्च शिक्षा प्राप्त करने को आर्थिक मदद उपलब्ध करवाने के लिए श्वेता ठाकुर ने जिलाधीश ऊना राघव शर्मा का धन्यवाद किया। वंचित वर्ग की सहायता के लिए जिला प्रशासन ऊना ने गरिमा, संबल व नवजीवन जैसी नई योजनाएं चलाई हैं। तीनों योजनाओं का दायरा अलग-अलग है लेकिन सभी का उद्देश्य जरूरतमंदों की हर संभव मदद है। संबल योजना का लाभ लेने के लिए बेसहारा व अनाथ बच्चे, जिन बच्चों के पिता का निधन हो चुका है, जिन बच्चों के पिता उनकी माता को छोड़ चुके हैं, जिन बच्चों के पिता किसी बीमारी की वजह से बिस्तर पर है, जिन बच्चों के पिता मानसिक रूप से ठीक नहीं है व अनाथ या अति-निर्धन परिवारों के बच्चे पात्र हैं। योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी के पास बच्चे की पात्रता से संबंधित दस्तावेज, संस्थान की फीस का प्रमाण पत्र, आधार नंबर व वार्षिक आय का प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। वार्षिक आय 50 हजार रुपए से कम होना आवश्यक है। यह दस्तावेज़ संबंधित सीडीपीओ अथवा जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस के कार्यालय में जमा करवाए जा सकते हैं।
जिलाधीश ऊना राघव शर्मा ने कहा कि 8 मार्च 2021 को प्रशासन ने गरिमा, संबल व नवजीवन योजनाएं आरंभ की थीं। संबल योजना के तहत बच्चों को आईटीआई, बीएससी नर्सिंग, एलएसलबी, इंजीनियरिंग सहित अन्य कोर्स के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। जिला में संबल योजना के अंतर्गत 31 मार्च 2022 तक 83 पात्र विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए 39.87 लाख रुपए की मदद जारी की गई है, जिनमें से 68 बालिकाएं व 15 छात्र शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आईटीआई के लिए 7 बच्चों को 1 लाख 34 हज़ार 254 रूपये की आर्थिक मदद प्रदान की गई है, जिसमें 4 लड़के और 3 लड़कियां शामिल हैं। जबकि राजकीय डिग्री कॉलेज में उच्च शिक्षा के लिए 18 लड़कियों को 1 लाख 3 हज़ार 229 रूपये की आर्थिक मदद प्रदान की गई है। जिला की 11 लड़कियों को बीएससी नर्सिंग के लिए 9 लाख 52 हज़ार 400 रूपये, जीएनएम के लिए 23 लड़कियों को 19 लाख 42 हज़ार 800 रूपये, एलएलबी के लिए एक लड़के ओर 6 लड़कियों को 3 लाख 74 हज़ार 850 रूपये, इंजीनियरिंग के लिए 4 लड़कों व 1 लड़की को 1 लाख 42 हज़ार 249 रूपये सहित अन्य कोर्सों के लिए 2 लाख 88 हज़ार 118 रूपये की आर्थिक मदद प्रदान की गई है। इसके अलावा जीएनएम के परीक्षा शुल्क के लिए 49 हज़ार 100 रूपये की मदद भी उपलब्ध करवाई गई है।