हाई कोर्ट ने शैक्षणिक योग्यता के आधार पर जारी हुए आदेश रद्द किए

Update: 2023-08-06 06:53 GMT

सोलन: प्रदेश में स्थापित निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अयोग्य घोषित करने वाली निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की कार्यवाही और आदेश को माननीय उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग द्वारा प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को न्यूनतम निर्धारित शैक्षणिक योग्यता पूरा न करने के कारण उनके पदों से हटाने के निर्देश जारी किए थे। इस फैसले के खिलाफ महर्षि मार्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी सोलन के कुलपति डा. विपिन सैणी ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि आयोग ने उसे कभी भी सुनवाई का मौका नहीं दिया, जिससे वह अपना पक्ष रख सके। गौर रहे कि वर्ष 2020 में प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का हवाला देते हुए प्रदेश के कई निजी विवि में तैनात कुलपतियों को अयोग्य करार दिया था। इस आदेश से अंसतुष्ट एमएमयू सोलन के कुलपति डा. विपिन सैणी ने माननीय उच्च न्यायायल का दरवाजा खटखटाया था और अपना पक्ष रखा था।

उन्होंने आदेश को चुनौती देते हुए आयोग के फैसले को अवैध, अनुचित, मनमाना और उच्च न्यायालय के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध बताया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। डा. सैणी ने न्यायालय के सामने पक्ष रखा था कि वह वर्ष 2006 से यूजीसी से मान्यता प्राप्त विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में बतौर प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे रहे थे और वर्ष 2010 में उन्होंने पीएचडी की डिग्री भी हासिल कर ली थी। ऐसे में वर्ष 2016 में जब उन्होंने कुलपति का कार्यभार संभाला तो वह दस वर्षों का अनुभव व न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता दोनों को पूरा करते थे। हालांकि आयोग ने यूजीसी विनियम, 2018 का हवाला देकर उन्हें अयोग्य करार दे दिया जबकि यह विनियम हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अपनाया व कार्यान्वित नहीं किया गया है। इन तथ्यों व पक्ष और विपक्ष की दलीलों को सुनने के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका को सही करार देते हुए आयोग के आदेशों को रद्द कर दिया गया। डा. विपिन सैणी ने पुष्टि करते हुए कहा कि माननीय उच्च न्यायालय में आदेश के खिलाफ दायर याचिका को सही ठहराते हुए आयोग के फैसले को रद्द कर दिया है। एचडीएम

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