देश भर के बीएड डिग्री धारकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की उस अधिसूचना को अवैध करार दिया जिसके तहत बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य किया गया था। न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने देवेश शर्मा की याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्णय सुनाया। याचिकाकर्ता देवेश ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने 25 नवंबर 2021 को एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था।
हिमाचल हाईकोर्ट ने भी बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य करने के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद निर्धारित की है। हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका लंबित है। हाईकोर्ट के समक्ष स्कूल शिक्षा बोर्ड की 5 नवंबर को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इसमें बीएड डिग्री धारकों को जेबीटी टेट के लिए योग्य किया गया था। दलील दी गई है कि एनसीटीई की जिस अधिसूचना के तहत बीएड डिग्री धारकों जेबीटी टेट के लिए योग्य किया गया है, उसे राजस्थान हाईकोर्ट रद्द कर चुका है।
26 नवंबर 2021 को हिमाचल हाईकोर्ट ने जेबीटी भर्ती मामलों पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया था कि शिक्षकों की भर्ती के लिए एनसीटीई के नियम प्रारंभिक शिक्षा विभाग के साथ अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग पर भी लागू होते हैं। अदालत ने आदेश दिए थे कि एनसीटीई की 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार जेबीटी पदों की भर्ती के लिए नियमों में जरूरी संशोधन किया जाए। इस फैसले से जेबीटी पदों के लिए बीएड डिग्री धारक पात्र हो गए थे। बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका में पारित आदेशों के अनुसार इस फैसले पर रोक लगा दी थी। इस रोक के बाद बीएड डिग्री धारक फिर से इन पदों के लिए अयोग्य हो गए थे।
जेबीटी प्रशिक्षुओं में खुशी
जेबीटी प्रशिक्षु बेरोजगार संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसले के बाद जेबीटी प्रशिक्षुओं में खुशी की लहर है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को जल्दी ही हिमाचल हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। हिमाचल हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद निर्धारित की है। एनसीटीई की इस अधिसूचना ने जेबीटी उम्मीदवारों के चार वर्ष और लाखों रुपये खर्च करवाए हैं। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब जेबीटी और बीएड डिग्री धारकोें में तनातनी पर लगाम लगेगी।