शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में प्रदेश को नशामुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार से एन.डी.पी.एस. एक्ट, 1985 में संशोधन करने संबंधी संकल्प को विपक्ष की गैर मौजूदगी में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विधानसभा से पारित यह संकल्प केंद्र सरकार को भेजा जाएगा, जिसके माध्यम से नशा बेचकर जुटाई गई संपत्ति को नष्ट करने या फिर इसे सरकार के अधीन लाए जाने की मांग की गई है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन में नशे के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव रखते हुए कहा कि इसे केंद्र सरकार को मुख्यमंत्री के पत्र के साथ भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि नशा कम मात्रा में पकड़ा जाए या अधिक यह अपराध गैर जमानती होना चाहिए। इनमें नशे के कारोबारियों को उम्रकैद की सजा होनी चाहिए। इसके अलावा नशा बेचने वालों की सजा अवधि 10 से 20 वर्ष तथा कम से कम 5 लाख रुपए का जुर्माना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नशा अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से होकर प्रदेश में पहुंच रहा है, ऐसे में बॉर्डर एरिया को सील करने की आवश्यकता है ताकि स्कूल-कालेजों के बच्चों को इससे बचा सके।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने 1 दिसम्बर, 2022 से 28 फरवरी, 2023 तक 3 माह की अवधि में एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत 530 मामले दर्ज किए हैं तथा 729 आरोपियों को पकड़ा है। इसमें 182 अभियोगों में 238 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र तैयार करके न्यायालय में प्रस्तुत किए गए हैं। न्यायालय से 2 को सजा भी हुई है, जबकि 348 अभियोगों में 489 अभियुक्तों के विरुद्ध जांच चल रही है। प्रदेश में नशीले पदार्थों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य एवं जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नशा बेचने वाले व्यक्ति के पकड़े जाने पर विधायक एवं चुने हुए प्रतिनिधियों को पुलिस अधिकारी व थाना प्रभारी पर अपने प्रस्ताव का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चिट्टा बेचने वाले गिरोह सक्रिय हंै, जिससे निपटने के लिए सरकार प्रभावी पग उठा रही है। मुकेश अग्रिहोत्री ने नगर निगम शिमला की वार्ड संख्या 41 से घटाकर 34 करने संबंधी संशोधन विधेयक विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस समय शिमला, धर्मशाला, मंडी, सोलन और पालमपुर नगर निगम है। उन्होंने कहा कि इससे प्रति वार्ड बेहतर तरीके से काम किया जा सकेगा।