शिमला। हिमाचल पुलिस और हाईटैक हो गई है। अब राज्य में सड़क हादसों का प्रभावी रियल टाइम डाटा तैयार होगा। अब इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडैंट डाटा बेस यानी आईआरएडी प्रोजैक्ट के तहत टूरिस्ट ट्रैफिक एंड रेलवे पुलिस (टीटीआर) ने थानों के जांच अधिकारियों (आईओ) को एंड्रॅायड मोबाइल प्रदान किए हैं। अभी तक आईओ अपने मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे थे। प्रोजैक्ट बीते अक्तूबर महीने में आरंभ हो गया था। इसमें जांच अधिकारियों ने नई एप्लीकेशन (एप) का अपने ही मोबाइल पर डाऊनलोड कर ली थी। अब उन्हें सुविधा प्रदान हो गई है। इस एप से हादसे से संबंधित सभी पक्षों को एक साथ मौके की न केवल सही सूचना मिल सकेगी बल्कि वे वहां पर आ पाएंगे। प्रोजैक्ट के तहत तकनीकी सहयोग आईआईटी मद्रास और नैशनल इन्फॉर्मैटिक सैंटर उपलब्ध करवा रहे हैं। अक्तूबर से लेकर अभी तक हिमाचल प्रदेश में कुल 414 सड़क हादसे घटित हुए हैं। इन सभी को एप में अपलोड कि या गया। प्रदेश में हादसों की रोकथाम के लिए राज्य पुलिस ने अलग से कई कदम उठाए हैं।
कोरोना काल में विश्व बैंक की सहायता से तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में इस प्रोजैक्ट की शुरूआत हुई थी। इसके तहत कहीं किसी सड़क पर हुई दुर्घटना के बाद फस्र्ट रिस्पांडर यानी पुलिस एक मोबाइल में उसका विवरण दर्ज करती है। इसे जियो टैङ्क्षगग के माध्यम ये अन्य-अन्य पक्षों जैसे लोक निर्माण विभाग, अस्पताल, बीमा कंपनियों को भी डाटा तत्काल उपलब्ध हो जाता है। इससे एक तो डाटा वैज्ञानिक आधार पर तैयार होता है, दूसरा सभी पक्ष एक मंच पर आ जाते हैं। वे हादसे से प्रभावित व्यक्तियों की अपने स्तर पर मदद कर सकते हैं। पीड़ित पक्ष को कई विभागों के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक टीटीआर शिमला नरवीर राठौर ने बताया कि पहले हम भी सुनते ही थे कि यदि कहीं हादसा हो जाए तो फिर बीमा कंपनी वाले, अस्पताल की टीम तत्काल पहुंच जाती है। अब प्रोजैक्ट के सहयोग से ऐसा संभव हो गया है। टीटीआर ने जांच अधिकारियों को 435 मोबाइल उपलब्ध करवाए हैं। इसमें वे नई एप्लीकेशन डाऊनलोड कर हादसों का रियल टाइम डाटा अपलोड कर सकेंगे। इससे संबंधित विभाग, एजैंसी भी जुड़ी होंगी, वे भी अपने स्तर पर ऑटोमैटिक हरकत में आ सकेंगी क्योंकि डाटा उन्हें भी पहुंचेगा।