हिमाचल में पहली बार पैरामोटर का लुत्फ भी लिया जा सकेगा, सफल उड़ान हुई

हिमाचल के मैदानी क्षेत्रों में पहली बार पैरामोटर (पावर ग्लाइडर) का लुत्फ भी लिया जा सकेगा।

Update: 2022-06-10 13:00 GMT

हिमाचल के मैदानी क्षेत्रों में पहली बार पैरामोटर (पावर ग्लाइडर) का लुत्फ भी लिया जा सकेगा। ऊना के अंदरौली में इस साहसिक खेल के लिए पहली बार सफल उड़ान हुई है। उड़ान भरने के लिए ढलानधार पहाड़ी की जरूरत पैरामोटर में नहीं रहती है। यह हिमाचल के मैदानी क्षेत्रों के लिए पर्यटन के लिहाज से बड़ी सौगात होगी। गोबिंद सागर झील किनारे अंदरौली में भी पैरामोटरिंग करवाने की तैयारी चल रही है।

अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के निदेशक अभिनाश नेगी की मौजदूगी में अंदरौली में दो पैरामोटर पायलट राजनाथ और राहुल गढ़वाल ने उड़ान भरी। अंदरौली में गोबिंद सागर झील किनारे पैरामोटर चलने से हर कोई हैरान रह गया। पैरामोटर यानि पावर ग्लाइडर को अमूमन मैदानी क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता है।
छतरी के साथ यह पूरा सेट आठ लाख रुपये का होता है। पायलट राजपाल और राहुल गढ़वाल ने बताया कि वह पैरामोटरिंग करते हैं। इसके लिए उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया है। उन्होंने बताया कि उड़ान के समय मोटर को बंद भी किया जा सकता है। उड़ान छतरी के माध्यम से ही होती है। पैरामोटर में एक यात्री को साथ ले जाया जा सकता है।
यह है पैरामोटर
पैरामोटर पायलट राहुल गढ़वाल ने बताया कि पैरामोटर में एक मोटर पीठ पर पहननी होती है। इसके जरिये मैदानी क्षेत्र में उड़ान भरने में सहायता मिलती है। इस मोटर को उड़ान के दौरान भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मोटर में एक घंटे में चार से पांच लीटर तेल की खपत होती है। इसके जरिये 25 से 30 किलोमीटर तक दूरी तय की जा सकती है।
उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने बताया कि अंदरौली में हिमाचल में पहली बार पैरामोटर की सफल उड़ान हुई है। इस तरह की गतिविधियां पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होंगी और क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।


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