हमीपुर: तो क्या हिमाचल में धौलासिद्ध पावर प्रोजेक्ट (Dhaulasidh Power Project in Himachal) के लिए 25 रुपये प्रति मरला की दर से जमीन का अधिकग्रहण हुआ है. योजना के प्रभावित परिवारों ने जिला मुख्यालय हमीरपुर पहुंच कर शुक्रवार को यह खुलासा किया. प्रभावितों के खुलासे के विपरीत योजना प्रबंधन का दावा है कि यहां पर न्यूनतम 1100 से 1200 रुपये प्रति मरला जमीन खरीदी गई. प्रबंधन की मानें तो पानी के दायरे वाली यह जमीन 22 हजार रुपये प्रति कनाल यानि 1100 से 1200 रुपये प्रति मरला खरीदी गई है. यह उस जमीन का रेट है जो नदी अथवा नाले के दायरे में पत्थरों से भरी है. नदी के साथ लगती उपजाऊ जमीन का प्रति कनाल 3 लाख रुपये कीमत दी गई है.योजना प्रबंधन के अधिकारियों की माने तो प्रदेश सरकार द्वारा प्रभावित कांगड़ा और हमीरपुर जिला के 16 अधिकारियों की कमेटी इसके लिए गठित की गई थी. लोगों की सहमति से कमेटी ने जमीन के रेट तय किए और जमीन का अधिग्रहण सितंबर 2019 में शुरू किया है. वहीं, सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में धौलासिद्ध प्रोजेक्ट (Dhaulasiddha Project in Sujanpur Assembly Constituency) एसजेवीएन में स्थानीय लोगों को रोजगार न मिलने के साथ-साथ जमीन के बहुत कम दाम मिलने पर ग्रामीणों में खासा रोष है. इसी के चलते ग्रामीणों ने डीसी हमीरपुर देबश्वेता बनिक को ज्ञापन सौंपा और जल्द इस मामले में उचित कार्रवाई कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है.
क्या कहते हैं प्रभावित परिवार: स्थानीय निवासी पवन सर्मा का कहना है कि 40 कनाल जमीन प्रोजेक्ट के लिए दी है, लेकिन जमीन का पैसा भी बहुत कम मिला है. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट लगने से पहले जमीन का मुआवजा देने की बात कही गई थी. इसमें तीन गुणा हिसाब से पैसे दिए जाने थे और रोजगार देने की बात भी की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.वहीं, इस योजना से प्रभावित मस्त राम ने बताया कि 25 रुपये प्रति कनाल के हिसाब से जमीन के दाम मिले हैं जो भी कुछ भी नहीं है. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट में प्रभावित लोगों को रोजगार देने की बात कही गई थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट वाली की बेरुखी के कारण लेागों में गहरा रोष पनपा हुआ है.अधिकारी बोले 1200 प्रति मरला दिया न्यूनतम रेट: धौलासिद्ध हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट डायरेक्टर परविंदर अवस्थी (Dhaulasiddha Hydro Power Project Director) ने कहा कि न्यूनतम रेट प्रति कनाल 22 हजार रुपये दिया गया है, जो कि प्रति मरला 11 से 1200 बनता है. यह रेट उस जमीन का दिया गया है जो पानी में डूबी है. भूमि के अधिग्रहण के वक्त प्रभावित दो जिलों अधिकारी की 16 सदस्यीय कमेटी प्रदेश सरकार ने गठित की थी जिसने लोगों की सहमति में पर रेट तय किए हैं. स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दी जा रही है. हालांकि अनुबंध में प्रभावितों को लेबर क्लास का रोजगार देने का प्रावधान किया गया है. बावजूद इसके अन्य तरह की नौकारियां में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है.