शिमला: राजनीति के पहाड़ पर शब्दों की झमाझम बरसात ने कांग्रेस को कई कुनबों में बांट दिया है। सियासत की यह दरार ठीक उस वक्त सामने आ रही है, जब सत्ताधारी दल को लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी है। धर्मशाला और सुजानपुर से उठे सियासी बादल अब जवाली में फट पड़े हैं। सियासी बयानबाजी का सफर कांग्रेस के एक बड़े नेता के घर की कलह बन गया है। कांगड़ा के इकलौते मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चंद्र कुमार ने सोशल मीडिया पर शुरू हुई बयानबाजी का जवाब बखूबी दिया था, लेकिन इसके बाद उनके बेटे और पूर्व सीपीएस नीरज भारती ही सबसे पहले सामने आ गए हैं। उन्होंने अपने पिता को ही नसीहत दे डाली। वहीं, नीरज भारती के इस तंज के जवाब में मंत्री चंद्र कुमार ने भी शिमला में मीडिया के माध्यम से अपना जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब बाप का जूता बेटे को आना शुरू हो जाए, तो ज्यादा सलाह नहीं देनी चाहिए। (एचडीएम)
पूर्व सीपीएस नीरज भारती ने कहा है कि चुने हुए प्रतिनिधियों पर तंज कसने से बेहतर है कि मंत्री चंद्र कुमार अपने जिला पर ध्यान दें। चंद्र कुमार कांगड़ा से इकलौते मंत्री हैं ऐसे में उन्हें अपने विधायकों पर टिप्पणी करने की जगह उन अधिकारियों पर नकेल कसनी चाहिए जो आठ महीनों से एक ही जगह स्थिर हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के कार्य में अड़ंगा साबित हो रहे हैं। इस पोस्ट में एक विधायक का भी जिक्र किया है जो मुख्यमंत्री और मंत्री चंद्र कुमार दोनों के बीच खाई बनाने का प्रयास कर रहा है।
सुजानपुर से शुरू हुआ विवाद, धर्मशाला से जवाली पहुंचा
सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट की गई थी। इस पर धर्मशाला के विधायक और पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने टिप्पणी की थी। इसके बाद यह पोस्ट खूब वायरल भी हुई। इसके बाद सरकार की तरफ से मंत्री चंद्रकुमार बचाव के लिए आगे आए और उन्होंने मामले की जांच कांग्रेस हाईकमान से करने और अनुशासहीनता के दायरे में लाने की बात कही। अब चंद्र कुमार के बेटे नीरज भारती भी मैदान में कूद गए और उन्होंने अपने पिता को ही नसीहत दे डाली।
बाप का जूता बेटे के पांव में!
मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि जब बाप का जूता बेटे के पांव में आने लगे तो ज्यादा नसीहत नहीं देनी चाहिए। प्रदेश में प्रशासनिक फेरबदल मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है। ऐसे में राज्य सरकार जब चाहेगी अधिकारियों का बदलाव करेगी। राज्य सरकार फिलहाल मौसम से हुए नुकसान का जायजा लेने में जुटी है। जब कोई भी सरकार सत्ता में आती है तो वह अपने हिसाब से प्राथमिकताएं तय करती है। उन्होंने कहा कि सभी विधायक मुख्यमंत्री के खास ही होते हैं। प्रशासन को एक दिन में नहीं बदला जा सकता है।