शिमला: हिमाचल के बीबीएन, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, सोलन आदि जिलों में 3000 से अधिक छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हैं। उद्योग मंत्री के मुताबिक जुलाई में हुई भारी बारिश से इन उद्योगों को 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. जलभराव, सड़कों और पुलों के ढहने, भूस्खलन और जगह-जगह जलभराव के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ। मढ़ावाला और चरणिया के अलावा बद्दी-बरोटीवाला को जोड़ने वाला लक्कड़ डिपो का पुल टूट गया है। इससे चंडीगढ़, पंचकुला, कालका और पिंजौर से आ रहा इंडस्ट्री का स्टाफ भी फंस गया।
बीबीएन में इन जगहों से करीब 20 हजार कर्मचारी रोजाना अप-डाउन करते हैं। उनके समय पर उद्योगों तक नहीं पहुंचने के कारण कारखाने एक तरह से बंद ही रहे। प्रदेश में 9-10 जुलाई को हुई भारी बारिश के कारण बरोटीवाला क्षेत्र में कई बिजली के खंभे गिरने से करीब 200 उद्योगों की बिजली आपूर्ति एक सप्ताह तक बंद रही, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ। बाढ़ और बारिश के कारण कच्चे माल की आपूर्ति तो बाधित हुई ही, तैयार माल भी समय पर नहीं भेजा जा सका।
पंजाब-हरियाणा में जलभराव से हालात खराब, बिजली कटौती से उत्पादन लागत बढ़ी
सिरमौर जिले के काला अंब औद्योगिक क्षेत्र में भारी बारिश के कारण उद्योगपतियों को बिजली कटौती, पानी की समस्या और श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ा। निकटवर्ती राज्यों हरियाणा और पंजाब में जलजमाव और बाढ़ की स्थिति के कारण समय पर परिवहन नहीं हो सका। न तो कच्चा माल समय पर आता था और न ही तैयार माल बाहर जाता था, जिसके कारण फैक्ट्रियाँ समय पर ऑर्डर पूरा नहीं कर पाती थीं।
कालाअंब में मारकंडा नदी पर बना पुल दो सप्ताह से अधिक समय तक बंद रहा, जिसके कारण हरियाणा के यमुनानगर और साढौरा से आने वाले मजदूर और कर्मचारी उद्योगों तक नहीं पहुंच सके। बार-बार बिजली कटौती के कारण फैक्टरियों को जेनरेटर से चलाना पड़ा। डीजल महंगा होने से उत्पादन लागत दो से तीन गुना बढ़ गई, जिससे उद्योगपतियों को घाटा उठाना पड़ा। यहां के उद्योगों को उत्पादन लागत का 20-25% नुकसान हुआ है।