मनाली फोरलेन को 300 करोड़ का नुकसान

Update: 2023-07-17 11:12 GMT

ब्यास नदी में बाढ़ से फोरलेन को लगभग 300 करोड़ का नुकसान हुआ है। किरतपुर से मनाली तक का निरीक्षण करने के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की टीम ने प्रारंभिक तौर पर यह आकलन किया है। अधिकारियों का कहना है कि मंडी से मनाली तक सबसे अधिक नुकसान हुआ है। टीम ने रविवार को बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई सड़क का जायजा लिया। मनाली से पतलीकूहल तक टीम पहुंची और फील्ड में तैनात अधिकारियों को जल्द से जल्द सड़क बहाल करने के आदेश दिए।

टीम में एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित, प्रोजेक्ट डायरेक्टर वरुण चारी, कुल्लू के क्षेत्रीय इंजीनियर अशोक चौहान, एसडीएम मनाली रमन कुमार शर्मा, सेवानिवृत्त अधिकारी विनोद आनंद मौजूद रहे। अब्दुल बासित ने कहा कि नेशनल हाईवे को भारी नुकसान हुआ है। अथॉरिटी की प्राथमिकता जल्द से जल्द सड़क खोलना है।

जहां कम नुकसान हुआ है, वहां दो से तीन दिन में सड़क खुल जाएगी। कुछ स्थानों पर एक सप्ताह का समय भी लग सकता है। मंडी से मनाली तक अधिक नुकसान है। प्रारंभिक तौर पर करीब 300 करोड़ के नुकसान का आकलन है। केंद्र की टीम अलग से नुकसान का जायजा लेने आएगी। इसके बाद ही नुकसान का सही आकलन हो पाएगा।

गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क निर्माण पर उठाए सवाल, विजिलेंस जांच की मां

सावड़ा कुड्डू परियोजना की डैम साइट के साथ चामशू के लिए बनाई गई सड़क का एक किलोमीटर हिस्सा ढहकर डैम में समा गया है। गांव में बागवानों की हजारों पेटी सेब, नाशपाती मंडियों में पहुंचाने के लिए तैयार हो गई हैं। अब सड़क के परियोजना के डैम में समाने के बाद नकदी फसल को मंडियों तक पहुंचाना बागवानों के लिए चुनौती बन गया है। इस सड़क के निर्माण को लेकर पहले से सवाल उठते रहे हैं।

गुस्साए ग्रामीणों ने अब मांग की है कि पहले इस सड़क की विजिलेंस जांच की जाए। सरकार इसकी जांच नहीं करवाती तो मजबूर होकर कोर्ट जाना पड़ेगा। रांवी पंचायत के चामशू गांव के लोगों के लिए इस सड़क का निर्माण परियोजना की डैम साइट के किनारे हिमाचल पावर कारपोरेशन ने करवाया है। निर्माण के समय लोगों ने कई बार सवाल उठाए। उस समय परियोजना प्रबंधन ने लोगों की नहीं सुनी। अब यह सड़क ढहकर डैम में समा चुकी है। सड़क के क्षतिग्रस्त होने के बाद सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार की सड़क के नाम से खूब पोस्टें वायरल हो रही हैं। अब इस सड़क पर वाहन तो दूर, पैदल घर पहुंचना भी मुश्किल हो चुका है।

स्थानीय जगवीर सिंह दुल्टा सहित यहां के कई ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि इसकी विजिलेंस जांच करवाई जाए। उन्होंने कहा कि लोग इसकी गुणवत्ता व तकनीक को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। परियोजना प्रबंधन ने लोगों की बात को अनदेखा किया है। उन्होंने मांग की है कि एक सप्ताह में सड़क नहीं बनी तो लोगों की सेब और नाशपाती की फसल बगीचों में ही खराब हो जाएगी।

सेब सीजन से पहले चामशू सड़क को अस्थायी तौर पर रिस्टोर करने के प्रयास जारी हैं। पहले कैसे डिजाइन हुआ, इस मामले में वह कुछ कह नहीं सकते। डैम साइड पर सड़क के लिए क्रेटवाॅल की जगह कंक्रीट की वॉल लगना जरूरी थी। - राजन परमार, सावड़ा कुड्डू परियोजना के डीजीएम

मरम्मत कार्य पूरा, ऊना में कल से दौड़ सकती हैं ट्रेनें

ऊना जिले में रेल सेवा बहाल करने के लिए रेलवे बोर्ड अंबाला ने रोपड़ से नंगल डैम के बीच ट्रैक का मरम्मत कार्य लगभग पूरा कर लिया है। रविवार को रोपड़ से दौलतपुर चौक तक ट्रैक की स्थिति को जानने के लिए इंजन दौड़ा कर ट्रायल किया। ट्रायल के बाद ऊना और दिल्ली के बीच ट्रेनें चलाने का फैसला सोमवार को रेलवे अधिकारी लेंगे। इसलिए सोमवार को भी ऊना से चलने वाली ट्रेनें रद्द रखी गईं है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार मंगलवार तक दौलतपुर चौक, अंब और ऊना रेलवे स्टेशन से तीन ट्रेनें बहाल करने की योजना है।

12 पशुपालकों को किया रेस्क्यू, 1200 भेड़-बकरियां भी बचाईं

स्पीति की पिन घाटी से भावा दर्रा की तरफ भारी बारिश और बर्फबारी के कारण फंसे हुए 12 पशुपालकों को प्रशासन ने रेस्क्यू कर लिया है। उपायुक्त लाहौल स्पीति राहुल जैन ने बताया कि 1200 भेड़-बकरियों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। मौके पर पहुंची प्रशासन की टीम ने निरीक्षण किया तो करीब 400 भेड़ों की मौत हो चुकी थी, जबकि 50 भेड़ें अभी लापता हैं। चंद्रताल में फंसे हुए एक पशुपालक काे छोड़कर सभी को रेस्क्यू कर लिया गया है।

14 जुलाई को स्थानीय लोगों की मदद से एक रेस्क्यू टीम ने कुंजुम टॉप और चंद्रताल में फंसे पशुपालकों को राशन, चारा और दवाएं मुहैया करवाईं। वहीं दूसरी टीम सगनम घाटी में फंसे हुए रूपी गांव जिला किन्नौर के पशुपालकों के समूह को रेस्क्यू करने के लिए गई थी। यहीं पर सूचना मिली की 8 और पशुपालक फंसे हुए हैं।

उन्हें दवाइयां, राशन और चारा मुहैया करवाया गया। तीसरी रेस्क्यू टीम मुद गांव से लापता हुए छह पशुपालकों को ढूंढने के लिए रवाना हुई जोकि रामपुर क्षेत्र के गांव कूट से हैं। मूद से 17 किलोमीटर दूर भावा पास के नजदीक दो नालों के बीच में 1100 के करीब भेड़ बकरियां फंसी हुई थीं। इसके बाद रेस्क्यू टीम ने नाले के प्रवाह को बदला और भेड़-बकरियों को निकाला। करीब चार घंटे बाद सारे पशुपालक मूद गांव के पास पहुंच पाए।

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