आपदा में राजनीति छोड़कर युद्धस्तर पर राहत और बचाव के कार्य करें मुख्यमंत्री: जयराम
मंडी। मुख्यमंत्री को सब कुछ बंद करने में खुशी मिलती है लेकिन मेहरबानी करके आपदा में इस तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। आपदा में युद्धस्तर पर राहत और बचाव के कार्य करने चाहिए। इसके लिए ऐसा मैकेनिज्म बनाना चाहिए, जिससे जरूरी साजो-सामान आपदा में फंसे लोगों तक पहुंचाया जा सके। ऐसी आपदा में बिना किसी भेदभाव के आपदा प्रभावितों को मदद पहुंचानी चाहिए। यह बात मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपने विधानसभा क्षेत्र सराज पहुंचकर बाढ़ से हुए नुक्सान का जायजा लेने के बाद कही। इस दौरान वह बाढ़ पीड़ितों से भी मिले। उन्होंने कहा कि इतिहास का यह सबसे बड़ा नुक्सान है। आधा थुनाग बाजार बर्बाद हो गया है। लोगों ने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है लेकिन 4 दिन हो गए प्रशासन का कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं गया है। आपदा के मौके पर भी सरकार भेदभाव के साथ काम कर रही है। जयराम ने कहा कि 4 दिन हो गए लेकिन मौके पर एसडीएम नहीं पहुंचे हैं।
चारों तरफ बर्बादी ही बर्बादी है लेकिन पीडब्ल्यूडी एक्सियन और बाकी अधिकारी नहीं हैं। बिजली पूरी तरह से गुल है लेकिन बिजली के अधिकारी नहीं हैं। पानी की सप्लाई बंद है, पाइपें बह गई हैं लेकिन जल शक्ति विभाग के अधिकारी अभी तक मौके पर नहीं पहुंचे हैं। आज मेरे आने की सूचना के बाद राजस्व विभाग का एक अधिकारी आया है। जब अधिकारी सुर पटवारी ही नहीं पहुंचेगा तो नुक्सान का आकलन कैसे होगा। ऐसा इसलिए है कि यह क्षेत्र विपक्ष के नेता का है। इसलिए यहां पर किसी की तैनाती नहीं की जा रही है। जयराम ने बताया कि भूस्खलनके डर से बूंग रेल चौक पंचायत और जंजैहली के 6 गांव पूरी तरह से खाली हो गए हैं। 1000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं लेकिन उनका हाल पूछने कोई नहीं पहुंचा। सराज विधानसभा में अभी भी बूंग रेल चौक पंचायत, जंजैहली के रेशन, कदवाड़, भाटकी, बूंग और व्योड़ को बारिश की वजह से खतरा बना हुआ है। यह सभी 6 गांव धंस रहे हैं। संगलवाड़ा पंचायत के अन्तर्गत नाउर, मटोट गांव के आसपास भी भूस्खलन हो रहा है। इस कारण गांव के लोगों ने गांव खाली कर दिए हैं और रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। लोगों के घरों में 10-10 फुट तक मिट्टी भरी पड़ी है। इसलिए अधिकारी राहत कार्यों में तेजी लाएं और जल्दी से जल्दी बाढ़ पीड़ितों को राहत मिल सके।