हिमाचाल : 20 साल और करूंगा बौद्ध धर्म की सेवा, मैक्लोडगंज में टीचिंग में दिया संदेश
मनुष्य को किसी की व्यक्ति के प्रति बैर नहीं बल्कि की प्रेम की भावना रखनी चाहिए। दूसरे के हित का भी ख्याल रखाना चाहिए। इससे खुद को और दूसरों को भी खुशी मिलेगी। यह बात तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने मैक्लोडगंज स्थित बौद्ध मंदिर में दो दिवसीय टीचिंग के दूसरे दिन कही। दलाईलामा ने कहा कि जैसे पैदा होने से पहले और बाद में बच्चा अपनी मां के प्रेम के सानिध्य में रहता है, उसी तरह हमें दूसरों के लिए भी प्रेम की भावना रखनी चाहिए।
दलाईलामा ने कहा कि अभी 88 वर्ष के हुए हैं। अभी और 20 साल तक भगवान बुद्ध के शासन और धर्म की सेवा करेंगे। किसी भी व्यक्ति को हमें हानि नहीं पहुंचानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब वे किसी गरीब या दुखी व्यक्ति को देखते हैं तो उन्हें बेहद दुख पहुंचता है। दलाईलामा ने एक कहानी के माध्यम से बताया कि बौद्धगया की बात है। उन्हें बुद्ध ने अपने पास बुलाया तो मैं वहां चला गया।
मैंने भगवान बुद्ध से चॉकलेट मांगी तो बुद्ध ने उन्हें वह चॉकलेट और आशीर्वाद दी, जिससे उन्हें काफी प्रसन्नता हुई। दलाईलामा ने कहा यह कोई सपना नहीं है, मुझे ऐसा आभास हुआ। उन्होंने कहा कि वह भगवान बुद्ध के शिष्य हैं और हमेशा बौद्धचित का अभ्यास करते हैं, जिससे उन्हें बुद्ध का आभास होता है।
भगवान बुद्ध मेरे प्रति बेहद स्नेह और प्रेम रखते हैं। बुद्ध ने जो भी आदेश दिए उसे मानते आए हैं और मानते रहेंगे। जब भी अन्य देशों में जाते हैं तो वहां बुद्ध के प्रवचनों का व्याख्यान करते हैं। सभी लोग खुशी और प्रसन्नता से रहें और हमेशा बौद्धचित का अभ्यास करें। दलाईलामा ने कहा कि हम जो भी देखते हैं उसे सच मान लेते हैं। इससे मिथया विकल्प से असक्त पैदा होता है, जिसे हमें धीरे-धीरे समाप्त करना चाहिए। हर मनुष्य एक अच्छा व्यक्ति बने।