हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट का रोना रोने वाली सुक्खू सरकार भी फिजूलखर्ची करने से पीछे नहीं है. अब सरकार ने प्रिंसिपल एडवायजर टू सीएम एक पोस्ट क्रिएट की है और इस संबंध में एक नोटिफिकेश जारी की है. 24 अगस्त की यह नोटिफिकेश है, जो अब सार्वजनिक हुई है. बता दें कि इससे पहले भी सुक्खू सरकार में सलाहाकारों की फौज भर्ती की है. हालांकि, कहा जा रहा है कि राम सुभग को सरकार ने प्रिंसिपल एडवायजर बनाने का ऐलान किया था. अब उन्हीं के लिए ये पोस्ट क्रिएट की गई है. लेकिन नोटिफिकेश में उनका नाम नहीं है.
नोटिफिकेशन के अनुसार, एक साल के लिए यह तैनाती होगी. जो कि 1 सितंबर से लागू मानी जाएगी. इस पोस्ट पर तैनात होने वाले प्रिंसिपल एडवायजर को 2 लाख 25 हजार रुपये वेतन मिलेगा. ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि जब सरकार का खजाना खाली है और आर्थिक संकट है तो फिर सलाहाकारों की नियुक्ति क्यों की जा रही है और क्यों वित्तीय भार बढ़ाया जा रहा है.
हिमाचल में सुक्खू सरकार का गठन दिसंबर महीने की शुरुआत में हुआ था. तब सरकार ने नरेश चौहान को मीडिया एडवायजर लगाया. साथ ही गोकुल बुटेल को सलाहकार(आईटी) नियुक्त किया. इसी तरह शिमला के अनिल कपिल को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के सलाहकार (आधारभूत संरचना) नियुक्त किया हैं. साथ ही चंडीगढ़ में सरकार ने मीडिया कॉर्डिनेटर की तैनाती की. सरकार यहीं नहीं रुकी, विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया.
हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव राम सिंह सुभग पर मेहरबानी दिखाई है और तैनाती दी. इसी तरह पूर्व मुख्य सचिव आरडी धीमान को रिटायरमेंट के बाद मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया था. अमिताभ अवस्थी को भी रिटायरमेंट के चेयरमैन बनाया गया है. सीएम सुक्खू ने सलाहकारों की एक बडी फौज को कैबिनेट रैंक दिया गया है. ऐसे में आर्थिक संकट का रोना रो रही सरकार लगातार ऐसी नियुक्तियां कर रही है, जिनकी वजह से प्रदेश सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ रह है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है.