HIMACHAL PRADESH : भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) की जिला कमेटी COMITTEE विभिन्न मांगों को लेकर एक बार फिर सड़कों पर उतर गई है। वीरवार को जिला कमेटी के तत्वाधान में मजदूरों एवं कामगारों संग ऊना मुख्यालय में प्रदर्शन किया गया।
सीटू कार्यकर्ताओं संग कामगारों ने शहर के एमसी पार्क में एकत्रित होकर रोटरी चौक होते हुए उपायुक्त कार्यालय तक रोष रैली RALLY निकाली। यहां पर उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रेषित किया गया। रैली के दौरान सीटू कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर जमकर गुबार निकाला। साथ ही कामगार एवं मजदूरों की अनदेखी करने पर नारेबाजी की। सीटू जिला ऊना के प्रधान सुरिंद्र कुमार और जिला महासचिव गुरनाम सिंह ने प्रदर्शन की अगुआई करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार मजदूर एवं कामगारों का शोषण कर रही है। कई बार केंद्र सरकार से मांगों को पूरा करने की आवाज बुलंद की गई, लेकिन केंद्र सरकार के कान पर जूं तक न रेंगी। हालात यह हैं कि जानबूझ कर चार श्रम कोड खत्म नहीं किए जा रहे। सरकार ने इसे लागू करने के लिए अपने 100 दिन के एजेंडे AGENT में रखा है। ऐसा सीटू को हरगिज मंजूर नहीं है, यह कामगारों के खिलाफ है।
प्रधानमंत्री को प्रेषित किए गए ज्ञापन में नेशनल मोनिटाइजेशन पाइपलाइन को समाप्त कर सार्वजनिक उपक्रमों और सेवाओं के निजीकरण बंद करने, श्रामिकों के न्यूनतम वेतन को प्रति माह 26 हजार करने, अनुबंध आउटसोर्स, अग्निवीर, आयुधवीर, कोयलावीर और अन्य निश्चित अवधि के रोजगार को समाप्त करने, असंगठित श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा, एनपीएस रद्द, ओपीएस बहाली, ईपीएस पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम पेंशन नौ हजार रुपये या उससे अधिक सुनिश्चित करने, आंगनबाड़ी, आशा और मिड-डे मील योजना कर्मियों और अन्य को श्रमिकों के रूप में मान्यता देने और न्यूनतम मजदूरी व पेंशन सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने, मिड-डे मील वर्कर्स को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 12 महीने का वेतन देने, आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री प्राइमरी स्कूल PRIMARY SCHOOL का दर्जा देने, आईटी IT और आईटीईएस को श्रम कानूनों से छूट देने वाली अधिसूचनाएं रद्द करने, काम के घंटे बढ़ाने के लिए वैधानिक संशोधनों को निरस्त करने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा व निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण शुरू करने, बिजली का निजीकरण बंद करने की मांग केंद्र एवं प्रदेश सरकार से की गई है।