हिमाचल सरकार ने की नया वेतनमान देने के लिए कर्ज लेने की तैयारी, 6000 करोड़ का पड़ेगा भार
नया वेतनमान देने के लिए हिमाचल सरकार कर्ज लेने की तैयारी में है।
शिमला, नया वेतनमान देने के लिए हिमाचल सरकार कर्ज लेने की तैयारी में है। पंजाब की तर्ज पर छठे वेतनमान की सिफारिशें लागू करने के लिए करीब छह हजार करोड़ का खर्चा आएगा। हालांकि अभी वित्त विभाग वेतनमान देने का फार्मूला तैयार कर रहा है। जैसे ही यह तैयार होगा, उससे पता चल सकेगा कि किस श्रेणी के कर्मचारियों को वेतन कितना बढ़ेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर संयुक्त सलाहकार समिति में संशोधित वेतनमान देने की घोषणा कर चुके हैं। जेसीसी बैठक में उन्होंने कर्मचारियों, पेंशनर्स के लिए करीब साढ़े सात हजार करोड़ के वित्तीय लाभों की घोषणा की थी।
सरकार ने चुकाया 7517 करोड़
प्रदेश सरकार ने तीन साल में 16241 करोड़ का ऋण लिया है। इस अवधि में सरकार ने 7517 करोड़ के ऋणों का भुगतान भी किया। ऋण की राशि के भुगतान के साथ साथ ब्याज के भुगतान पर भी सरकार ने करोड़ों की रकम खर्च की है। 2019-20 से 2021-22 तक सरकारी खजाने पर ब्याज की अदायगी का ही करीब 12 हजार करोड़ का बोझ पड़ा है। राजस्व प्राप्तियां कम होने व खर्चे अधिक होने की वजह से सरकारें कर्ज लेती रही हैं। राजस्व प्राप्तियों में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तथा केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि का हिस्सा ही 60 प्रतिशत के करीब रहता है। खजाने पर वेतन व पेंशन का भारी भरकम बोझ है।
कैग रिपोर्ट में भी था जिक्र
विधान सभा के शीत कालीन सत्र में पेश की गई कैग रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश सरकार 2019-20 में 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबी थी। वर्तमान में खजाने पर कर्ज का बोझ 64 हजार करोड़ के आसपास है।
कब कितना कर्ज लिया
सरकार ने साल 2019-20 में 7404.89 करोड़ का कर्ज लिया। 2020-21 में 7294.87 करोड़ और बीते 15 नवंबर तक 2021-22 में सरकार ने करीब 1542 करोड़ का ऋण लिया। इस तरह ऋण की यह रकम 16241 करोड़ से अधिक है। इसी अवधि में सरकार ने 7518 करोड़ के ऋण की अदायगी भी की। कर्ज की रकम से ऋण की अदायगी के बाद सरकार ने विशुद्ध तौर पर 8724 करोड़ का ऋण तीन सालों में उठाया है।