हिमाचल प्रदेश सरकार ने जल विद्युत परियोजनाओं से लिए जाने वाले वाटर सेस (जल उपकर) की दरें आधी कर दी हैं। कैबिनेट से दरों की युक्तिकरण की मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। जल विद्युत परियोजनाओं से वाटर सेस वसूलने के लिए दो टैरिफ बनाए गए हैं। प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए ऊर्जा उत्पादकों पर वाटर सेस लगाने का फैसला लिया गया है। प्रदेश में छोटी-बड़ी करीब 175 पन बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाए जाने से सरकार को हर साल करोड़ों की कमाई होनी है। इसको लेकर सरकार अध्यादेश भी ला चुकी है।
जल उपकर आयोग का भी गठन किया जा चुका है। पहले सरकार ने प्रति घन मीटर 0.10 रुपये से 0.50 रुपये तक वाटर सेस वसूलने का फैसला लिया था। अब इसे घटाकर प्रतिघन मीटर 0.06 से लेकर 0.30 रुपये प्रति घन मीटर किया गया है। यह राशि 12 साल के बाद वसूल की जाएगी। इससे पहले वाटर सेस की दरें वसूल करने के लिए अलग-अलग टैरिफ बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि ऊर्जा उत्पादकों ने पूर्व में लिए गए वाटर सेस की दरों का विरोध किया था। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने दरों में कटौती करने का आश्वासन दिया था। अब दरों को आधा किया गया है।
पहले 12 साल के लिए (ये होंगी दरें)
हेड 5 मेगावाट तक 5 से 25 मेगावाट 25 मेगावाट
30 मीटर हेड की पन बिजली परियोजना 0.02 रुपये 0.03 रुपये 0.04 रुपये
30 मीटर से 60 मीटर तक 0.05 रुपये 0.08 रुपये 0.10 रुपये
60 मीटर से 90 मीटर तक 0.07 रुपये 0.11 रुपये 0.14 रुपये
90 व इससे ज्यादा 0.10 रुपये 0.15 रुपये 0.20 रुपये
12 साल बाद (ये होंगी दरें)हेड टैरिफ (रुपये में)
30 मीटर तक 0.06
30 से 60 मीटर तक 0.15
60 से 90 मीटर तक 0.20
90 मीटर से ज्यादा 0.30