Kullu, Gods and Goddesses take decisions: हिमाचल प्रदेश का ऐसा अद्भुत मंदिर जहां पर देवी-देवताओं की धर्म-संसद लगती हैं। स्थानीय भाषा में इसे जगती कहते है। इस संसद में देवी-देवता यहां आने वाली विपदा को लेकर फैसला लेते हैं। जगती पट देव आस्था का प्रतिक है, ताे चालिए आज हम आपकाे इस धर्मिक स्थान के रहस्याें के बारे में बताते हैं-
जगती पट यानी कि न्याय की वह मूर्ति, जहां से पूरे जगत के कल्याण की बैठक होते हैं। इस परंपरा को लोकतंत्र का एक बेहतर उदाहरण कहा जा सकता है, जिसमें देवी-देवता एकजुट होकर विश्व कल्याण के बारे में बात करते हैं। जगती मैं आने वाले निर्णय को पूरा समाज पालन करता है। कुल्लू-मनाली पर जब काेई संकट आता है, तो देवी-देवता जगती पट में एकत्रित होकर उसका समाधान निकालते हैं। जगती पट का आदेश सभी लोगों को मानना पड़ता है और अवहेलना करने पर दंड का भागी बनना पड़ता है।
कुल्लू में जब भीषण सूखा पडा था, तब रघुनाथ के छड़ीबरदर महेश्वर सिंह के दादा ने जगती बुलाई थी। दूसरी बार घाटी में महामारी फैलने पर उनके पिता राजा महेन्द्र सिंह ने 16 फरवरी 1971 को जगती बुलवाई थी। तीसरी बार 16 फरवरी 2007 में स्की विलेज पर लोगों के विरोध और सरकार के निर्णय पर फैसला लेने पर जगती को बुलाया गया था। इसके बाद आखिरी बार पशु बलि पर रोक लगाने के न्यायालय के फैसले पर निर्णय लेने के लिए 26 सितंबर 2014 को जगती बुलाई गई थी।
देवभूमि के नाम से मशहूर हिमाचल में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां पर देवी-देवताओं की संसद लगती है। नग्गर में स्थित जगती पट एक बेहद ही पवित्र स्थान माना जाता है। यहां पर एक छोटे से मंदिर में एक बड़ी सी शीला रखी गई है। ये देव शिला 5 फीट लंबी, 5 फीट चौड़ी और 6 इंच माेटी हैं। ऐसा माना जाता है कि 18 करोड़ देवी-देवताओं ने मधुमक्खी का रूप धारण करके इस शीला को नेहरू कुंड के पास एक चट्टान से काटकर यहां पर लाया था। इस चट्टान से कटी उस बड़ी सी शीला को ही जगती बट कहा जाता है, यानी कि सिहासन।
जगती का आयोजन भगवान रघुनाथ जी के मंदिर, नग्गर में स्थित जगती पट मन्दिर और ढालपुर मैदान में किया जाता है। कई बार राज परिवार के सबसे बड़े सदस्य यानी राजा भी किसी विशेष समस्या या विश्व शांति के लिए इसे बुलाते हैं। जगती देव आदेश पर ही होती है। अगर इसका आयोजन नग्गर स्थित जगती पट में होना है तो उसके लिए माता त्रिपुरा सुंदरी को पूछा जाता है और भगवान रघुनाथ जी ही दिन तय करते हैं।