अनुबंध सेवा को पुरानी पैंशन के लिए गिने जाने के लिए हाईकोर्ट ने दिया आदेश

Update: 2023-04-20 09:12 GMT
शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध की सेवा को पुरानी पैंशन के लिए गिने जाने के आदेश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने डाॅ. उमेश कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए अपने फैसले में कहा कि कर्मचारी की सेवा योग्यता उस तारीख से शुरू होती है, जिस तारीख से वह कार्यभार ग्रहण करता है। यदि अस्थायी नियुक्ति बिना किसी रुकावट के स्थायी नियुक्ति में निहित होती है तो ऐसी स्थिति में अनुबंध सेवा को सीसीएस (पैंशन) नियम, 1972 के अनुरूप गिना जाना उचित है। कोर्ट ने सरकार के 18 अक्तूबर, 2021 के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके तहत प्रार्थी को पैंशन का लाभ दिए जाने से मना कर दिया था।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि उसकी नियुक्ति चिकित्सक के रूप में 31 जनवरी, 1997 में अनुबंध आधार पर की गई थी। उसे स्थायी कर्मचारी के सभी सेवा भत्ते दिए। सरकार ने 10 वर्ष तक उसकी सेवाओं को नियमित नहीं किया। उसकी सेवाओं को वर्ष 2007 में नियमित किया गया। वर्ष 2010 में विभाग ने प्रार्थी और समानांतर डाक्टरों को आदेश दिए कि वे नई पैंशन स्कीम (अंशदायी पैंशन स्कीम) के भागीदारी बनें। प्रार्थी व अन्य डाॅक्टरों ने इस निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी। कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर इन आदेशों पर रोक लगा दी। कोर्ट को बताया गया कि प्रार्थी 31 दिसम्बर, 2020 को सेवानिवृत्त हो गया था। उसके बाद विभाग ने उसे पुरानी पैंशन का लाभ दिए जाने को खारिज कर दिया। इस निर्णय को याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकाॅर्ड का अवलोकन करने के बाद अपने निर्णय में कहा कि प्रार्थी पुरानी पैंशन का हक रखता है। कोर्ट ने विभाग को 6 हफ्ते के भीतर सभी सेवा लाभ देने के आदेश दिए हैं।
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