लंपी वायरस के बाद अब घोड़ों में पाया गया ग्लैंडर्स रोग, इंसानों को भी खतरा
धर्मशाला। पशुओं में लंपी वायरस के कहर के बाद अब घोड़ों में ग्लैंडर्स रोग ने पशुपालकों को ङ्क्षचता में डाल दिया है। पालमपुर के तहत भट्टू के अश्वों में ग्लैंडर्स रोग पाया गया है। पशुपालन विभाग की ओर से लिए गए सैंपलों में से 5 घोड़ों की प्रारंभिक रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसके साथ राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई) हिसार, हरियाणा की टीम को बुलाया गया है। यह टीम वीरवार को पालमपुर पहुंचेगी। जानकारी के मुताबिक पशुपालन विभाग ने ग्लैंडर्स रोग की आशंका के चलते संबंधित क्षेत्र में अश्वों के सैंपल भरे थे जिन्हें जांच के लिए शिमला भेजा था। प्रारंभिक रिपोर्ट में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई है लेकिन अब हिसार की टीम इस मामले में प्रमाणिक समेत फाइनल रिपोर्ट देगी। पुष्टि होन के बाद संबंधित क्षेत्र में जहां-जहां अश्व घूमे हैं, वहां लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।
ग्लैंडर्स वायरस जनित रोग है जो आमतौर पर घोड़ों में पाया जाता है। यह एक संक्रामक रोग है जो एक पशु से अन्य को भी होने की संभावना बनी रहती है। रोगग्रस्त अश्ववंशी पशु बुखार से पीड़ित रहता है तथा सुस्त पड़ जाता है। शरीर पर फ फोलों के अलावा सांस लेने में दिक्कत और नाक से पानी बहना रोग की पहचान है।
ग्लैंडर्स पॉजिटिव पाए जाने पर रोगी घोड़े को मारना ही पड़ता है। साथ ही घोड़े के अस्तबल अथवा बांधने की जगह से लगभग 4-5 किलोमीटर के दायरे में रह रहे जानवरों की भी जांच आवश्यक हो जाती है। बड़ी बात यह है कि यह वायरस इंसान को भी संक्रमित कर सकता है। यही वजह है कि संक्रमित पशु पालक की भी जांच की जाती है। रोगग्रस्त घोड़े को मारने के बाद उसे जमीन में काफी गहराई में दफनाना पड़ता है।
पशु को समय पर ताजा चारा व पानी दें।
ज्यादा देर तक मिट्टी-कीचड़ में न रहने दें।
साफ-सफाई का ध्यान रखें।
दवाओं का छिड़काव करें।
बीमार पशुओं के नजदीक न जाएं।