विशेषज्ञों ने किया खुलासा, 30 प्रतिशत तक फसल को चट कर रहे कीट और रोग

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Update: 2022-07-21 09:34 GMT

पालमपुर। 30 प्रतिशत तक फसल को कीट और रोग हानि पहुंचा रहे हैं। वहीं सफेद सुंडी एक बड़ा खतरा बन कर उभरा है। यह खुलासा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित भूमिगत कीटों पर अखिल भारतीय नैटवर्क परियोजना की 2 दिवसीय समूह बैठक में विशेषज्ञों ने किया। विशेषज्ञों के अनुसार पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय ने इस पर बढ़िया काम किया है। यद्यपि कीट बहुत नुक्सान पहुंचा रहे और सभी पौधों पर हमला कर रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकों को फसलों को होने वाले नुक्सान के साथ इनकी संख्या और ढांचागत तकनीक व आनुवांशिक परिवर्तनशीलता, व्यापक शोध व फेरोमौन, जैव नियंत्रण पर कार्य करने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं, सफेद सूंड़ी और दीमक पर व्यापक शोध के साथ यह देखा जाना चाहिए कि वह सबकुछ कैसे खाते और पचाते हैं। पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन व कार्यवाहक कुलपति डाॅ. मनदीप शर्मा ने भी सफेद सुंड़ी को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर बात करते हुए हानिकारक कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए भागीदारी दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया

भूमिगत कीड़ों पर व्यापक काम करें वैज्ञानिक
बैठक में मुख्यातिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक फसल विज्ञान डॉ. टीआर शर्मा ने वैज्ञानिकों से विभिन्न केंद्रों में किए गए शोध कार्यों की व्यापक समीक्षा करने और प्रमुख सफेद सुंडी के प्रबंधन के लिए किफायती, प्रभावी और व्यावहारिक एकीकृत प्रौद्योगिकी विकसित करने और देश की विभिन्न कृषि जलवायु स्थितियों और फसल प्रणालियों के तहत अन्य भूमिगत कीट प्रजातियों के लिए योजना तैयार करने को कहा। उन्होंने बताया कि लक्ष्य निर्धारित कर उत्कृष्टता हासिल करने के लिए सभी 80 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं के लिए निगरानी एवं सलाहकार समितियां गठित की गईं हैं।
भूमिगत कीड़ों के प्रबंधन के लिए अनुसंधान में लाएं तेजी
विदेश प्रवास पर गए कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने अपने संदेश में बैठक में आने वाले प्रतिभागियों को भूमिगत कीड़ों सफेद सुंड़ी, कटवर्म, दीमक, वायरवर्म के लिए प्रभावी और किसान अनुकूल नियंत्रण उपायों का सुझाव देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि हानिकारक मिट्टी के कीट आलू, राजमाश, मूंगफली, गन्ना, मक्का, सेब, नाशपति, सब्जी आदि जैसी कई फसलों को गंभीर नुक्सान पहुंचाते हैं, इसलिए भूमिगत कीड़ों के प्रबंधन के लिए अनुसंधान में तेजी लानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई फसलों में वार्षिक नुकसान को कम करने के लिए सफेद सुंड़ी और दीमक से निपटने की आवश्यकता है। कुलपति ने बताया कि ऊंचे पहाड़ों में 80 प्रतिशत संक्रमण की सूचना मिली है जो हिमाचल प्रदेश में सफेद सुंड़ी के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने विगत 2 वर्षो में दीमक पर अच्छा काम शुरू किया है।

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