Dharamsala,धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUHP) के समाजशास्त्र एवं सामाजिक नृविज्ञान विभाग द्वारा ‘आधुनिक समाज-दिशा एवं चुनौतियां: स्वामी विवेकानंद से प्रेरणास्पद प्रतिक्रियाएं’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए आर्लेकर ने स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डाला और उन्हें सामाजिक या राजनीतिक नेता से अधिक एक समाज वैज्ञानिक बताया। उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने समाज में न्याय और समानता के महत्व पर जोर दिया और वंचित वर्गों के प्रति समाज की जिम्मेदारियों पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि हमें 15 अगस्त 1947 को राजनीतिक आजादी तो मिल गई, लेकिन स्वदेशी की भावना हमारे अंदर विकसित नहीं हुई। जब तक हमारे अंदर ‘स्व’ की भावना विकसित नहीं होगी, तब तक आजादी का कोई मतलब नहीं है। मुख्य अतिथि ने कहा कि नई शिक्षा नीति के परिणामस्वरूप भारत 2047 तक एक विकसित देश बनने में सफल होगा और उन्होंने स्वदेशी प्रणालियों को अपनाने पर भी जोर दिया। सेमिनार के महत्व पर बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति और सेमिनार के अध्यक्ष सत प्रकाश बंसल ने कहा कि गुरु और शिष्य के बीच पवित्र रिश्ता होना चाहिए, जैसा कि स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के बीच था। कुलपति ने कहा कि पूरे देश में हिदू विश्वविद्यालय पहला ऐसा संस्थान है, जहां हिंदू अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि हमारे पत्र के बाद यूजीसी ने इस विषय को नेट-जेआरएफ परीक्षा में शामिल किया। नई शिक्षा नीति के कारण भारत फिर से विश्वगुरु बनने की राह पर है। डीन (अकादमिक) प्रो. प्रदीप कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। निवेदिता भिड़े, राज कुमार भाटिया, प्रो. नागेश ठाकुर, स्वामी दिव्यसुधानंद महाराज, प्रो. एडीएन वाजपेयी और डॉ. गिरीश गौरव ने भी अपने विचार रखे।