नवनिर्मित काष्ठकुणी मंदिर में विराजमान हुए देव पशाकोट

Update: 2023-02-12 10:22 GMT
पधर। मंडी जिले के उपमंडल पधर की चौहारघाटी के पहाड़ी बजीर नाम से विख्यात आराध्य देव श्री पशाकोट उरला के करालड़ी स्थित काष्ठकुणी शैली से नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हुए। नए मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में मंडी जनपद के बड़ा देव हुरंग काली नारायण और इलाका रुहाड़ा के आराध्य देव सूत्रधारी ब्रह्मा ने भी मंदिर प्रतिष्ठा में विशेष रूप से शिरकत की। देव समाज में पहली बार एक नया इतिहास भी बना। बड़ा देव हुरंग काली नारायण इतिहास में पहली बार किसी मंदिर की प्रतिष्ठा में शामिल हुए। 3 दैवीय शक्ति के आगमन से उरला क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बना हुआ है। तीनों देवताओं के आपस में हुए भव्य मिलन के हजारों की तादाद में श्रद्धालु साक्षी बने। मंदिर कमेटी सहित स्थानीय ग्रामीणों द्वारा करालड़ी पहुंचने पर तीनों देवताओं का भव्य स्वागत किया गया। मंडी जनपद के बड़ा देव हुरंग नारायण के पुजारी इंद्र सिंह मुगलाना ने रिब्बन काट कर मंदिर का उद्घाटन किया। इस मौके पर तीनों देवताओं के गुर, पुजारी, दुमच और अन्य कारदार मौजूद रहे। श्रद्धालुओं ने देवताओं की विधिवत पूजा अर्चना कर मनोकामना की।
आराध्य देव पशाकोट 80 लाख की लागत से नवनिर्मित काष्ठ कुणी शैली मंदिर में विराजमान हुए। नवनिर्मित मंदिर को जिला की सराज घाटी के विख्यात काष्ठकुणी कारीगरों ने बेहतरीन ढंग की नक्काशी से प्रदर्शित किया है। मंदिर में भगवान भोलेनाथ, विष्णु महाराज और राधे कृष्णा की मूर्तियां भी शोभा बढ़ा रही हैं। नए मंदिर में आराध्य देव पशाकोट की गद्दी रूप में भव्य मूर्ति स्थापित की गई है, जो मंदिर का आकर्षण बनी हुई है। एक हाथ में मेमना और एक हाथ में हुक्का सजा हुआ है। करालड़ी स्थित देव पशाकोट मंदिर कमेटी ने जब देवता के नए मंदिर निर्माण का कार्य शुरू किया तो देव कमेटी के पास मात्र 36 हजार रुपए की राशि थी। जनसहयोग से यहां 80 लाख रुपए की लागत से भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ। दानी सज्जनों ने मंदिर निर्माण के लिए बढ़-चढ़कर आर्थिक सहयोग दिया। नेपाल से भी दानी सज्जनों द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर राशि भेंट की गई। इस दौरान देवता के मंदिर में शनिवार को भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारा संपूर्ण होने के बाद बड़ा देव हुरंग नारायण और सूत्रधारी ब्रह्मा अपने अगले पड़ाव पर रवाना हुए। जबकि पहाड़ी बजीर देव पशाकोट अगले 2 दिन तक नवनिर्मित मंदिर में विराजमान रहेंगे। यहां से साज सजावट के बाद देव पशाकोट 14 फरवरी दोपहर बाद लाव लश्कर सहित अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महापर्व के लिए रवाना होंगे।
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