चम्बा। चम्बा जिले के भांदल क्षेत्र में वन्य प्राणी विभाग की भूमि पर अवैध कब्जे पाए जाने से विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। भले ही वन्य प्राणी विभाग ने अब आनन-फानन में सैंक्चुरी एरिया से अवैध कब्जे हटा दिए हैं। निशानदेही के बाद रिपोर्ट भी जमा करवा दी है लेकिन विभाग ने सिर्फ 3 बीघा जमीन पर ही कब्जा दर्शाया है जबकि 15 बीघा भूमि पर की गई बाड़बंदी को विभाग कब्जा मानने से इंकार कर रहा है।
वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ अमित शर्मा ने बताया कि चारान क्षेत्र में की गई बाड़बंदी अवैध कब्जे में नहीं आती है। आरोपी ने सिर्फ 3 बीघा जमीन पर ही कब्जा किया था, जिसे राजस्व विभाग के साथ मिलकर छुड़ा लिया है और विभाग ने रिपोर्ट भी जमा करवा दी है। उन्होंने कहा कि सैंक्चुरी एरिया में वन विभाग की भूमि पर कोई मकान नहीं बना है। संबंधित क्षेत्र में निर्मित अस्थायी मकान (अधवारी) निजी भूमि पर बने हैं। यह भूमि वन्य प्राणी विभाग की नहीं है।
गौर रहे कि जिले के सलूणी उपमंडल की भांदल पंचायत में मनोहर की निर्मम हत्या के बाद मामले में नामजद आरोपियों पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के आरोप लगे थे। जब मामले ने तूल पकड़ा तो डीसी ने इसकी जांच के आदेश जारी कर दिए। डीसी के आदेशों के बाद वन्य प्राणी विभाग की टीम ने राजस्व विभाग से मिलकर आरोपी की भूमि की निशानदेही की। इस दौरान कुल 18 बीघा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा पाया गया, जिसमें 3 बीघा जमीन पर तो मक्की की फसल उगाई गई थी। हैरानी इस बात है कि आरोपी लंबे समय से इस सरकारी भूमि पर कब्जा कर उसका इस्तेमाल करते रहे। यहां तक कि सरकारी भूमि पर फसल उगाते रहे लेकिन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। विभागीय अधिकारी अनजान बने रहे। ऐसे में विभाग की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है।