चम्बा में भरतीय मजदूर संघ के बैनर तले प्रदर्शन

Update: 2023-04-27 09:41 GMT
चम्बा। ठेका श्रमिक को शोषण से बचाने के लिए भारत सरकार ने ठेका श्रम अधिनियम 1970 तो बनाया है लेकिन यह कानून न तो ठेका श्रम के अंधानुकरण पर रोक लगा पाया तथा न ही ठेका श्रमिकों को शोषण से मुक्त कर पाया। इस कारण से मजदूर वर्ग का शोषण जारी है। यह बात चम्बा में डीसी अपूर्व देवगन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपते हुए भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष खेखों राम ने कही। बुधवार को जिला भारतीय मजदूर संघ चम्बा के बैनर तले आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी, सिलाई-कढ़ाई, मिड-डे मील, परिवहन, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड, मिड हिमालयन, आऊटसोर्स वर्ग ने चम्बा में मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष खैंखो राम ने बताया कि वर्तमान केंद्र सरकार ने श्रमिकों के हित के लिए नवीन सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 का निर्माण किया है लेकिन यह श्रमिकों का दुर्भाग्य ही है कि आज तक यह संहिता इस देश में लागू नहीं हो सकी है, इसे अतिशीघ्र लागू किया जाए। सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य भोजन, आवास व रोजगार की सुविधा मुहैया हो सके। भारतीय श्रम सम्मेलन के 45 वें सत्र सम्मेलन की सिफारिश को लागू किया जाए। पैंशन को महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए तथा पैंशन राशि का समय-समय पर पुनर्निर्माण किया जाए। ठेका प्रथा के अंधानुकरण पर रोक लगाई जाए तथा ठेका श्रम अधिनियम 1970 में न्यायोचित संशोधन किया जाए।
खैंखो राम ने कहा कि सरकारी, अर्द्ध सरकारी और निजी क्षेत्र सब जगह ठेका श्रमिक की भर्ती धड़ल्ले से हो रही है। इस भर्ती का एक ही उद्देश्य है कम वेतन देकर अपना काम निकालना। श्रमिकों के शोषण को देखते हुए यह लगता है कि इस वर्ग के रूप में देश में बंधुआ मजदूर प्रथा अपना रूप बदल कर प्रचलन में है। देश के संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत को लागू किया जाए। ठेका श्रमिकों को संस्थान अथवा सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान का न्यूनतम वेतन देय हो ऐसा प्रावधान कानून में लाया जाए तथा लगातार सेवा के आधार पर वार्षिक वेतन वृद्धि का प्रावधान लागू किया जाए। खैंखो राम ने कहा कि आर्थिक विकास के इस दौर में अमीर की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हो रही है जबकि श्रमिक के आर्थिक स्तर में अनुपातिक प्रगति नहीं हुई है। इससे स्पष्ट है कि श्रमिक को उसके वाजिब हक से वंचित रखा जा रहा है। देश में वर्तमान में जो श्रम नीति और श्रम कानून हैं वे 7 प्रतिशत संगठित क्षेत्र के श्रमिक के लिए ही हैं। 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के लिए कोई श्रम नीति और श्रम कानून नहीं हैं। इस मौके पर दिनेश शर्मा, अर्चना, शशि, त्रिपता, रीता, अनिता, मीना, सुलक्षणा देवी, बालक, मीना ठाकुर, रीता देवी व सरवेन कुमार शर्मा समेत अन्य मौजूद रहे।
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