हिमाचल घूमने आया दिल्ली का व्यक्ति निकला मंकी पॉक्स पॉजिटिव

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Update: 2022-07-25 09:43 GMT

शिमला। हिमाचल में कोविड-19 अभी खत्म नहीं हुआ है, अब मंकी पॉक्स का खौफ पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में एक युवक मंकी पॉक्स पॉजिटिव निकला है जोकि जून माह में हिमाचल घूमने आया था। हिमाचल में किस-किस जगह पर यह युवक घूमकर गया है, इसकी जानकारी जुटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। विभाग द्वारा दिल्ली से इसे लेकर जानकारी जुटाई जा रही है। इस व्यक्ति ने दिल्ली में ही अपना टैस्ट करवाया है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अभी लोगों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।

वैसे बीते दिनों मोहाली चंडीगढ़ में आए एक मंकी पॉक्स मामले को लेकर सरकार ने पहले ही अलर्ट जारी कर दिया था। सरकार की तरफ से प्रदेश के सभी जिलों के चीफ मैडीकल ऑफिसर (सीएमओ) और जिलाधीशों को निर्देश दिए गए हैं कि इसे लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। मंकी पॉक्स के सैंपल जांच के लिए पुणे भेेजे जाते हैं। अभी तक हिमाचल से सैंपल भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। वैसे मंकी पॉक्स जानलेवा नहीं है, लेकिन संक्रमण कोरोना की तरह ही संपर्क में आने से फैलता है। इसका इंफैक्शन कोविड-19 की तरह मुंह और नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स और पस के संपर्क में आने से होता है।

क्या है मंकी पॉक्स
मंकी पॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण दुर्लभ बीमारी है, जो चेचक या चिकनपॉक्स के समान दिखाई देती है। यह बीमारी सबसे पहले वर्ष 1958 में बंदरों में दिखाई दी थी, जिसके कारण इसे मंकी पॉक्स नाम दिया गया। वर्ष 1970 में एक युवा में सबसे पहले मंकी पॉक्स का मामला सामने आया था।
मंकी पॉक्स के लक्षण
पूरे शरीर पर गहरे लाल रंग के दाने होना, निमोनिया, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, अत्यधिक थकान, तेज बुखार आना, शरीर में सूजन, एनर्जी में कमी होना, त्वचा पर लाल चकते व समय के साथ लाल चकतेे का घाव का रूप ले लेना आदि इसके लक्षण हैं।
ऐसे फैलती है मंकी पॉक्स की बीमारी
मंकी पॉक्स किसी संक्रमित जानवर के काटने से या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फिर छूने से हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों और गिलहरियों जैसे कृन्तकों द्वारा फैलता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी इस बीमारी को पकडऩा संभव है, जिसे ठीक से पकाया नहीं गया है, उससे भी यह फैल सकता है। फिलहाल वर्तमान समय तक अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसमें मंकी पॉक्स किसी जल में रहने वाले जीव से फैला हो या किसी जलधारी जीव में देखा गया हो। अगर मंकी पॉक्स के मनुष्य से मनुष्य में फैलने के बारे में बात की जाए तो यह संक्रमित के संपर्क में आने से फैलता है।

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