शिमला। जिले में जहां एक ओर आए दिन सड़क हादसों व अन्य कारणों से लोग मौत का ग्रास बन रहे हैं। वहीं रंगड़ों के काटने से भी लोगों की मौत हो रही है। शिमला के सुन्नी गांव में रंगड़ों के काटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार पिछले कुछ महीनों में जिला शिमला में रंगड़ों के काटने से मौत का यह तीसरा मामला सामने आया है। इससे पहले रामपुर में एक मां-बेटी की मौत हुई थी। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सुन्नी के रहने वाले मनोज कुमार ने पुलिस को बयान दिया कि शाम करीब 7 बजे उनके पिता हेतराम अपने खेतों में झाडिय़ों की सफाई कर रहे थे।
इस दौरान रंगड़ों ने उन पर हमला किया और उन्हें जगह-जगह काटा। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए जलोग स्थित स्वास्थ्य संस्थान ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंप दिया है। पुलिस का कहना है कि हेतराम की मौत रंगड़ों के काटने से हुई है। शिमला में हर साल 1 से 2 मामले ऐसे आते हैं, जिनकी मौत रंगड़ों के काटने से होती है। ऐसे में अभी तक रंगड़ों के काटने से यह तीसरा मामला सुन्नी में सामने आया है।
एक या दो रंगड़ काटें तो अधिक हानि नहीं लेकिन झुंडों का हमला जानलेवा
विशेषज्ञों के अनुसार रंगड़ मधुमक्खी प्रजाति का एक हिस्सा हैं। यदि इनके छत्ते से कोई छेड़छाड़ करता है तो यह आसपास में आने वाले जीव पर हमला कर देते हैं और यह अक्सर झुड़ों में हमला करते हैं। आई.जी.एम.सी. के चिकित्सकों के अनुसार ज्यादातर मामलों में रंगड़ व्यक्ति सिर, गले और चेहरे पर डंक मारते हैं। रंगड़ काफी खतरनाक होते हैं।
मधुमक्खी प्रजाति के होते हैं। एक या 2 रंगडों के काटने से ज्यादा हानि नहीं होती, लेकिन यदि रंगड़ झुंडों में हमला करते हैं तो ज्यादा खतरनाक होते हैं। चेहरे पर काटते ही टॉक्सिन बना देते हैं, जो जानलेवा होते हैं और इससे व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। ऐसे में यदि ग्रामीण परिवेश के लोग जंगलों में घास-पत्ती लेने जाते हैं तो यह विशेष ध्यान रखें कि रंगड़ों के छत्तों से छेडख़ानी न करें।