शिमला: शिमला-मटौर एनएच पर नया विवाद छिड़ गया है। करीब एक माह पहले क्षतिग्रस्त हुए घंडल पुल की रिपेयर के बाद एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी आमने-सामने हैं। जुलाई महीने में बरसात की वजह से पुल का एक हिस्सा भू-स्खलन की जद में आ गया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने मार्ग को बदलने के निर्देश दिए थे और करीब एक सप्ताह से ज्यादा समय तक वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजा गया। जबकि चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर या मंडी से आने वाले यात्री घंडल पुल को पैदल पार करने को मजबूर हो रहे थे। इसके बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य और एनएचएआई के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से पुल का निरीक्षण किया था। नएच होने की वजह से पुल का जिम्मा एनएचएआई के पास ही था, लेकिन रिपेयर का काम पीडब्ल्यूडी को सौंपा गया। पीडब्ल्यूडी ने इस पुल को करीब 55 लाख रुपए में रिपेयर किया है।
रिपेयर का बिल एनएचएआई को भेजा गया है और एनएचएआई ने भुगतान पर रोक लगा दी है। एनएचएआई ने पुल में हुए रिपेयर वर्क की जांच दोबारा से करने की बात कही है। शुरुआती तौर पर पीडब्ल्यूडी ने वैली ब्रिज के पास लगाए डंगे को 55 लाख में बना नहीं पाया है। एनएचएआई के अधिकारी अब खुद पुल की जांच करेंगे। इसके बाद पीडब्ल्यूडी को भुगतान किया जाएगा।
20 किलोमीटर घटा सफर
जब नेशनल हाई-वे पर घंडल पुल ध्वस्त हुआ था तो उस समय वैली ब्रिज लगाने का काम पीडब्ल्यूडी ने ही जल्द पूरा किया था। अधिकारियों का कहना है कि अभी तक इस वैली ब्रिज का भुगतान भी नहीं हो पाया है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि इस बार घंडल पुल को महज एक हफ्ते में रिपेयर किया गया है। विभाग ने यहां से गुजर रहे वाहनों को 20 किलोमीटर के अतिरिक्त सफर से बचाया है।
बारिश से टूटा था पिल्लर
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि पुल के एक पिल्लर को नुकसान पहुंचा था। इसके बाद एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी के बीच मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में रिपेयर का जिम्मा पीडब्ल्यूडी को मिला था। लेकिन काम के एवज में भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। पुल रिपेयर के बाद विभाग ने ट्रैफिक हो सुचारू कर दिया है।