हिमाचल में बादल फटा, पंजाब-हरियाणा में बरसात, जलवायु परिवर्तन से बदला पैटर्न

बरसात, जलवायु परिवर्तन से बदला पैटर्न

Update: 2023-07-30 08:13 GMT
देश में बारिश का नया पैटर्न देखने को मिल रहा है। कहीं एक दिन में पूरे महीने का पानी बरस रहा है तो कहीं 5 दिन में सिर्फ 10 मिमी ही बारिश हो रही। मौसम के पैटर्न में हुए इस बदलाव पर भोपाल के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) के पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार ने स्टडी की है, जो बताती है कि जलवायु परिवर्तन और मौसमी घटनाओं के साथ बारिश ने अपनी आदतें बदली हैं। इसकी वजह है- जीवाष्म ईंधन से वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ना।
इससे समुद्री जल तेजी से वाष्पीकृत हो रहा है। परिणामस्वरूप वायुमंडल में ज्यादा पानी की रासायनिक गतिविधि हो रही हैं। इससे ज्यादा बादल बनते हैं और एकाएक तेज बारिश होती है। यही वजह है कि इस बार हिमाचल के पहाड़ों के साथ ही मैदानी इलाकों में भी बादल फटने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। इससे शहरों में अचानक बाढ़ की स्थिति बन रही है।
मानसून में हल्की या मध्यम बारिश की जगह अब ज्यादा भारी बारिश के दिन बढ़ रहे हैं। पिछले साल के एक दशक में यह बदलाव ज्यादा देखने को मिला। शनिवार को जहां एक ओर पंजाब के 10 जिलों में हल्की बारिश हुई, वहीं हिमाचल के कुल्लू में बादल फटा। रामपुर और किन्नौर में चट्टानों का खिसकना भी लगातार जारी है। हरियाणा में भी बारिश हुई है।
हरियाणा में 12 जिलों में असर, पंजाब में 391 घर तबाह
पंजाब में कैबिनेट ने माना कि राज्य के 19 जिलों के 1495 गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए। बाढ़ के कारण 44 व्यक्तियों की जान गई, 391 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और 878 का आंशिक नुकसान हुआ। हरियाणा में 12 जिलों के 1468 गांवों में बाढ़ आई। 5,17,475 एकड़ फसलों को नुकसान का अनुमान है। वहीं, 47 लोगों की मौत हो चुकी है।
देश में मानसून पश्चिम में शिफ्ट हो रहा
देश का 30 फीसदी हिस्सा अभी भी अच्छी बारिश को तरस रहा है। इसकी वजह है- मानसून का पूर्व से पश्चिम दिशा में शिफ्ट हो जाना। इससे गुजरात-राजस्थान में तो ज्यादा वर्षा हुई है, लेकिन उप्र, बिहार सूखे पड़े हैं। बारिश का ज्यादातर पानी नदियों में बहने से ग्राउंड वाटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है।
स्टडी: अब ड्रॉपलेट 200, लेकिन बारिश झटके में
स्टडी के मुताबिक वातावरण गर्म होने का असर बादल से गिरने वाली बूंदों (ड्रॉपलेट) पर पड़ा है। पहले यदि 100 बूंदें होती थीं तो वे धीरे-धीरे चार-पांच दिन तक बरसती रहती थीं। अब नमी ज्यादा होने से बूंदें तो 200 हैं, लेकिन वे एक साथ 1 घंटे, 2 घंटे में ही बरसकर खत्म हो जा रही हैं। रेनफॉल डिस्ट्रीब्यूशन भी बिगड़ गया है। इसे ही एक्सट्रीम वेदर पैटर्न कहा जा रहा है।
आगे क्या: 2 से 4 अगस्त तक हरियाणा-पंजाब में फिर अच्छी बारिश
मौसम विभाग के अनुसार, दो दिन कुछ कम बारिश हो सकती है। 1 अगस्त से मानसून फिर से पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा। 2 से 4 अगस्त तक अच्छी बारिश के आसार हैं। इस बार हरियाणा के साथ पहाड़ी राज्यों में हुई बारिश से यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल, पंचकूला, अम्बाला, कैथल आदि में भारी नुकसान हुआ।
Tags:    

Similar News