हिमाचली में पहले दिन 250 रुपये किलो बिकी चेरी

Update: 2024-04-28 05:25 GMT
शिमला : हिमाचली चेरी की मंडी में धमाकेदार एंट्री हुई है। पहले ही दिन चेरी को रिकॉर्ड 250 रुपये प्रति किलो दाम मिला है। शनिवार को शिमला जिले के कुमारसैन के धनापाणी से चेरी की पहली खेप ढली मंडी पहुंची। 14 बॉक्स चेरी को अधिकतम 250 रुपये प्रति किलो तक दाम मिले। चेरी लेकर मंडी पहुंचे बागवान कपिल चौहान ने बताया कि बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष चेरी की बंपर फसल है। शुरुआत में ही रिकॉर्ड रेट मिला है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी अच्छे दाम मिलेंगे। कपिल ने बताया कि वह चेरी का उत्पादन बतौर नगदी फसल करते हैं। धनापाणी चेरी के उत्पादन के लिए विख्यात है।
 उनके इलाके की चेरी गुणवत्ता के मामले में सबसे बढि़या होती है और मार्केट में इसकी खास डिमांड रहती है। सीजन की शुरुआत में पहले दिन चेरी ढली मंडी के कुशान ट्रेडर्स केटी 46 नंबर फर्म पर बिकी। संचालक यशवंत शर्मा ने बताया कि सीजन की शुरुआत में चेरी को रिकॉर्ड रेट मिले हैं, हिमाचल की चेरी की डिमांड महानगरों में बहुत अधिक रहती है। हवाई मार्ग से कारगो के जरिये चेरी बंगलुरू और मुंबई तक भेजी जाती है। आने वाले दिनों में इसकी मांग बढ़ने पर दामों में और बढ़ोतरी की उम्मीद है। कृषि उत्पाद विपणन समिति शिमला, किन्नौर के चेयरमैन देवानंद वर्मा ने बताया कि शनिवार को शिमला की ढली मंडी में पहले ही दिन चेरी को बढि़या दाम मिले हैं। आने वाले दिनों में मांग बढ़ने के साथ चेरी के दामों में भी तेजी आएगी।
सालाना 600 से 800 मीट्रिक टन उत्पादन
हिमाचल प्रदेश में करीब 500 हेक्येटर पर चेरी की खेती होती है। शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, लाहौल स्पीति और किन्नौर जिला में सालाना 600 से 800 मीट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है। कुल उत्पादन का करीब 90 फीसदी अकेला शिमला जिला करता है। शिमला के नारकंडा, कोटगढ़, थानाधार, कुमारसैन और बागी चेरी उत्पादन में अग्रणी हैं। प्रदेश में स्टोन फ्रूट का सालाना करीब 500 करोड़ का कारोबार है।
हिमाचल में चेरी उत्पादन
वर्ष मीट्रिक टन में
2018-19 295
2019-20 650
2020-21 683
2021-22 841
2022-23 870
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