कारगिल युद्ध शहादत का जाम पीने वाले अमोल कालिया के बड़े भाई अमन कालिया भी देश सेवा में तत्पर हैं। वह वायु सेना में बतौर ग्रुप कैप्टन तैनात हैं और इस वक्त सूरतगढ़ में सेवाएं दे रहे हैं। खास है कि अमोल कालिया और अमन कालिया का कमीशन वर्ष 1995 में हुआ था। कारगिल युद्ध में अमन कालिया ने अपने छोटे भाई को खो दिया। अमोल कालिया मूलत: ऊना जिले के चिंतपूर्णी के थे और उनका परिवार नया नंगल पंजाब में रहता है। कैप्टन अमोल कालिया की यादों को ताजा रखने के लिए परिवार ने उनकी हर चीज को सहेजकर रखा है। इसमें एक मारुति कार भी है। परिवार ने मकान की छत पर एक तोप का माॅडल भी बना कर रखा है, जिसका मुंह पाकिस्तान की तरफ किया गया है।
अमोल कालिया और अमन कालिया के भारतीय सेना में सेवा देने के बाद इनकी अगली पीढ़ी भी सेना में जाने की तैयारी में है। अमन कालिया के बेटे नमन कालिया भी भारतीय सेना में जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं। वह एनडीए परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे करते हुए चौकी नंबर 5203 पर तिरंगा लहराने बाद नौ जून 1999 में शहादत का जाम पीने वाले अमर शहीद कैप्टन अमोल कालिया पर उनके परिजन नाज करते है। 26 फरवरी 1974 को नंगल में जन्मे अमोल कालिया का जमा दो तक शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत 1991 में एनडीए के लिए चयन हुआ। 1995 में आईएमई कमीशन प्राप्त करने के उपरांत सेना की 12 जाकली में प्रभार संभाला। शहीद कैप्टन अमोल कालिया को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उन्हाेंने करीब साढ़े तीन साल भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी।
कोरोना के बाद सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई शहीद सौरभ कालिया मामले की सुनवाई
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की अमानवीय यातनाओं से शहीद हुए पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया के परिजनों का आज भी भारी मलाल है कि उनके बेटे के अमानवीय यातनाओं का इंसाफ आज दिन तक नहीं मिला है। कैप्टन सौरभ कालिया का मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में चला हुआ है। कोरोना से पहले साल 2018 के बाद सुप्रीम कोर्ट में आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। कारगिल शहीदी दिवस पर अपने शहीद बेटे के मामले में इंसाफ न मिलता देख पिता डॉ. एनके कालिया और माता विजय कालिया का दर्द फिर छलका है।
डॉ. कालिया का कहना है कि जब तक विदेश मंत्रालय पाकिस्तान से या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला सख्ती से नहीं उठाता, तब तक इस मामले में कुछ नहीं होने वाला है। जिस तरह से भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ नौसेना अधिकारी कुलभूषण और पायलट विंग कमांडर अभिनंदन का मामला उठाया और उसके नतीजे भी सामने आए थे। उन्हें मोदी सरकार से न्याय की आस है है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट में कोरोना के बाद कोई सुनवाई नहीं हुई है। पिता का कहना है कि उनके बेटे के मामले में उन्हें मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट से आज भी न्याय की आस है। पालमपुर में उनके बेटे के नाम पर सौरभ वन विहार और सौरभ नर्सिंग कॉलेज खोलकर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मान-सम्मान दिया है। वह बेटे की न्याय की लड़ाई को आखिरी सांस तक लड़ेंगे।